
श्रीश्री रविशंकर का प्रेरक मार्गदर्शन, पत्रिका फोटो
The Art of Living: द आर्ट आफ लिविंग संस्था के संस्थापक श्रीश्री रविशंकर ने जयपुर के सीतापुरा स्थित जेईसीसी में युवाओं को उत्साह, करुणा और जागरूकता के साथ जीवन जीने के लिए प्रेरक मार्गदर्शन दिया। साथ ही ध्यान का सामूहिक अभ्यास भी कराया। कार्यक्रम में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के ‘समग्र विकास’ एवं ‘मूल्य आधारित शिक्षा’ के सिद्धांतों के क्रियान्वयन के साथ ही युवाओं में मानसिक स्वास्थ्य और कौशल सहित अन्य जीवन मूल्यों का प्रसार किया गया। ‘विज्ञान भैरव’ ध्यान व ‘सोमनाथ ज्योतिर्लिंग दर्शन’ कार्यक्रम में बड़ी संख्या में शहरभर से लोग पहुंचें। इनमें युवाओं की संख्या सबसे अधिक रही।
श्रीश्री रविशंकर ने कहा कि प्रत्येक व्यक्ति के भीतर अनंत शांति, प्रेम और शक्ति का विशाल भंडार है, जिसे ध्यान और साधना के माध्यम से अनुभव किया जा सकता है। मन के स्थिर और शांत होने पर जीवन में आने वाली हर चुनौती छोटी हो जाती हैै। इसलिए मन को संभालना और भीतर की ऊर्जा को पहचानना ही आध्यात्मिक यात्रा का प्रथम चरण है।
उन्होंने कहा कि हमारी समस्याओं का कारण बाहरी दुनिया नहीं, बल्कि भीतर पैदा होने वाला तनाव और असंतुलन है। जैसे ही मन हल्का और दृष्टि साफ होने लगती है, व्यक्ति के निर्णय लेने की क्षमता बढ़ जाती है। जीवन की भागदौड़ में कुछ समय स्वयं के लिए निकालें, ताकि मन, बुद्धि और भावनाएं संतुलित रहें। ध्यान, प्रार्थना और सेवा-ये तीनों जीवन में प्रकाश लाते हैं। उन्होंने कहा कि हमारी समस्याओं का कारण बाहरी दुनिया नहीं, बल्कि भीतर पैदा होने वाला तनाव और असंतुलन है। जैसे ही मन हल्का और दृष्टि साफ होने लगती है, व्यक्ति के निर्णय लेने की क्षमता बढ़ जाती है। जो व्यक्ति भीतर शांत होता है, वही संसार में शांति फैला सकता है।
श्रीश्री रविशंकर ने विज्ञान भैरव तंत्र के गहरे रहस्यों पर सरल, सहज और जीवंत शैली में ज्ञान प्रदान किया। विज्ञान भैरव सत्र के दौरान लोगों ने बताया कि यह अनुभव उनके जीवन के सबसे शांत, गहरे और आनंदमय क्षणों में से एक रहा। सामूहिक ध्यान के अभ्यास ने लोगों के मन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार किया।
Published on:
16 Nov 2025 09:01 am
बड़ी खबरें
View Allजयपुर
राजस्थान न्यूज़
ट्रेंडिंग
