
जैसलमेर के रेगिस्तान में पर्यटक (फोटो-पत्रिका)
जयपुर। महाराजा जैसल सिंह के नाम पर बसी 'स्वर्ण नगरी' जैसलमेर थार रेगिस्तान के मध्य में स्थित है। यह शहर शानदार महलों, शांत मंदिरों और भव्य किलों से भरा पड़ा है। जैसलमेर अपनी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और शाश्वत परंपराओं के लिए जाना जाता है। यहां आने वाले पर्यटकों को कई झीलें, जैन पूजा स्थल और भव्य हवेलियां देखने को मिलती हैं। जैसलमेर अपने अनोखे रेगिस्तान सफारी अनुभव के लिए भी प्रसिद्ध है।
सैम सैंड ड्यून्स जैसलमेर से लगभग 40 किलोमीटर दूर स्थित एक खूबसूरत रेगिस्तानी जगह है। यहां दूर-दूर तक फैली सुनहरी रेत देखने का अनोखा अनुभव मिलता है। यहां आने वाले लोग ऊंट की सवारी और रोमांचक जीप सफारी का आनंद लेते हैं। शाम के समय तारों भरे आसमान के नीचे लोक संगीत और नृत्य के कार्यक्रम होते हैं, जो इस जगह को और भी खास बना देते हैं।
पांच जुड़ी हुई हवेलियों का एक सुंदर समूह है। जिसे 19वीं शताब्दी में एक व्यापारी गुमान चंद पटवा ने बनवाया था। हवेलियों में बारीक नक्काशी, रंगीन पेंटिंग्स और चमकदार सजावट देखने को मिलती है। हर हवेली जैसलमेर के पुराने समय के व्यापारियों की शाही और आरामदायक जीवनशैली की कहानी बताती है। इनमें से एक हवेली में अब एक म्यूजियम है, जहां पुरानी चीजें, पारंपरिक कपड़े और कला के सामान रखे गए हैं। जो उस समय की संस्कृति और जीवन को आसानी से समझने में मदद करते हैं।
14वीं शताब्दी की यह झील कभी शहर की जीवन रेखा थी, जो सूखे रेगिस्तान में पानी उपलब्ध कराती थी। यह एक शांत स्थान है जहां पर्यटक पैडल बोटिंग का आनंद ले सकते हैं, प्रवासी पक्षियों को देख सकते हैं, या बस पानी के किनारे आराम कर सकते हैं। झील के चारों ओर जटिल नक्काशीदार छतरियां, मंदिर और तीर्थस्थल हैं। इन संरचनाओं में सबसे आकर्षक है प्रतिष्ठित तिलों की पोल, जो झील के प्रवेश द्वार पर एक खूबसूरत डिजाइन किया गया प्रवेश द्वार है।
कुलधरा गांव अपनी भूतिया कहानियों को लेकर लोगों के बीच खूब प्रचलित है। जैसलमेर से सिर्फ 20 किलोमीटर दूर स्थित यह गांव कई किलोमीटर तक फैला हुआ है। लोककथाओं के अनुसार, लगभग 300 साल पहले (18वीं सदी में) पूरे गांव के लोग अचानक एक ही रात में गांव छोड़कर चले गए और फिर कभी लौटकर नहीं आए। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) ने भी यहां एक बोर्ड लगाया है। जिसमें सूर्यास्त के बाद गांव में रुकने की मनाही है। रात होते ही यहां अजीब-सा सन्नाटा और डरावना माहौल छा जाता है, इसलिए लोग अंधेरा होने से पहले ही लौट जाते हैं।
रेगिस्तान के बीच शहर के रंग के बलुआ पत्थर से निर्मित, जैसलमेर किला दुनिया के सबसे बड़े किलों में से एक है। सोनार किला या स्वर्ण किले के नाम से प्रसिद्ध, यह किला अपने शाही शासकों की शान और वीरता को दर्शाता है। 2013 में इसे भारत के पहाड़ी किलों की श्रेणी में यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल के रूप में मान्यता दी गई थी।
तनोट माता मंदिर भारत-पाकिस्तान सीमा के पास स्थित है। भारतीय सैनिकों के अनुसार, 1971 में लोंगेवाला युद्ध में दूसरी तरफ से लगभग 3000 बम की भारी गोलाबारी हुई थी, लेकिन मंदिर के आसपास कोई भी बम नहीं फटा। मंदिर के अंदर और आसपास के स्थानीय लोग और सैनिक सुरक्षित थे। तब से मंदिर की देखभाल सीमा सुरक्षा बल द्वारा की जाती है और बिना फटे बमों को परिसर में सुरक्षित रखा गया है।
Published on:
07 Dec 2025 06:21 pm
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