इससे पहले ऑस्ट्रेलियन लेखक व फेमिनिस्ट जरमेनिया गीर ने
Jaipur Literature Festival के पहले दिन फ्रंट लॉन में आयोजित बियॉन्ड द फिमेल यूनक सेशन में विश्वभर में चल रहे मी टू अभियान के बारे में कहा था कि यह अभियान प्रसिद्धि पाने का तरीका बनकर रह गया है। महिलाएं कार्यस्थल पर हुए शोषण की बात को कई वर्षों बाद सोशल मीडिया पर कह रही हैं। उनमें से ज्यादातर केवल प्रसिद्धि पाने या धन ऐंठने के लिए ऐसा कर रही हैं। इस पर महिला श्रोताओं ने आपत्ति जताई।
एक लड़की ने कहा कि वह जयपुर शहर में रहती है। घर से बाहर निकलने से लेकर लौटने तक किसी न किसी रूप में शोषण-उत्पीडऩ होता ही है। मी-टू अभियान से कम से कम लड़कियां अपने साथ घटीं घटनाओं के बारे में बताने की हिम्मत तो कर रही हैं। इस पर गीर ने कहा कि मी-टू अभियान से लैंगिक शोषण कम नहीं हुए। मी-टू इस समस्या का समाधान भी नहीं है। अगर आपके साथ ऐसी कोई भी घटना हो तो आप पुलिस के पास जाओ, मामला रिपोर्ट करो। सोशल मीडिया पर लिखकर किसी को आरोपी बनाने से कुछ नहीं होगा, बल्कि जिस पर आरोप लगाए, वह और उसका परिवार प्रताडि़त होगा। खुद को सही साबित करने के लिए वह कोर्ट के चक्कर लगाएगा।
निर्भया केस बलात्कार से ज्यादा हत्या का मामला:
गीर ने कहा कि निर्भया केस के बाद इंग्लैंड ने भारत को विश्व की दुष्कर्म राजधानी (रेप कैपिटल) बता दिया। जबकि इंग्लैंड में क्या हुआ, वह नहीं देखा।