
जयपुर। इकोलॉजिकल क्षेत्र ( Ecological Area ) में ग्रीन सिटी ( Green City ) और हैरिटेज सिटी ( Heritage City ) बसाने की मंशा खत्म होने बाद सरकार ने अब इस इलाके में चारदीवारी के हैरिटेज स्वरूप की तर्ज पर विकसित करने का प्लान तैयार किया है। इसमें आगरा रोड पर इकोलॉजिकल क्षेत्र से बाहर करीब 10 वर्ग किलोमीटर इलाका शामिल है। यहां चारदीवारी की तरह भवनों के आगे कंगूरे, झरोखा, फसाड, जाली व अन्य प्राचीन निर्माण शैली रखना अनिवार्य होगा। भवन के बाहरी हिस्से में गेरुआ गुलाबी रंग होगा और चारों ओर सफेद पट्टी रहेगी। वहीं, दुकानों के आगे बरामदे भी बनाए जाएंगे। इसके लिए अलग से भवन नियम का ड्राफ्ट तैयार हो गया है। इसमें बसावट और निर्माण को लेकर गाइडलाइन बनाई गई है, जो बिल्डिंग बायलॉज का ही हिस्सा होगी।
जुड़े होंगे भवन
आवासीय योजनाओं के लिए प्रस्तावित मापदण्ड में छोटे भूखंडों में साइड सेटबैक को शून्य रखा है। ड्राफ्ट तैयार कर रहे नगर नियोजकों का तर्क है कि पारंपरिक निर्माण तभी किया जा सकता है, जब फ्रंट सेटबैक एक समान हो और इमारतें एक-दूसरे से जुड़ी हों। इसी कारण 225 वर्गमीटर क्षेत्रफल तक के भूखंडों में साइड सेटबैक शून्य प्रस्तावित कर रहे हैं। वहीं, बड़े से बड़े भूखंड क्षेत्रफल में भी 15 मीटर तक ही अधिकतम उंचाई तक निर्माण होगा।
आगरा रोड पर इकोलॉजिकल क्षेत्र से बाहर हुए इलाके के विकास का प्लान तैयार
- 10 वर्ग किलोमीटर इलाका है इसमें शामिल
- चारदीवारी की तर्ज पर भवन निर्माण में हैरिटेज स्वरूप रखने के लिए अलग प्रावधान
निजी स्कीम के लिए प्रस्तावित गाइडलाइन
- शैक्षणिक इंस्टीट्यूट, कॉमर्शियल, कम्यूनिटी हॉल निर्माण वाले हिस्से में पट्टा तभी जारी होगा, जब 6.8 मीटर भूमि पार्किंग के लिए होगी
- योजना हिस्से में से 2 प्रतिशत भूमि जेडीए को समर्पित करनी होगी। इस भूमि पर जेडीए ही लोगों के लिए शौचालय, पेयजल और अन्य जन सुविधा के कियोस्क बनाएगा
- दुकानों के आगे 3 मीटर चौड़ाई में बरामदे की जगह होगी
- 30 मीटर से कम चौड़ी सडक़ निर्माण विकासकर्ता को करना होगा, जबकि इससे अधिक चौड़ी सडक़ें जेडीए बनाएगा
- 12 मीटर से कम चौड़ी सडक़ पर पार्किंग स्थल विकसित नहीं होंगे
इस तरह समझें
आगरा रोड के उत्तर में 25.10 वर्ग किमी में इकोलॉजिकल क्षेत्र है। यहां अनुज्ञेय गतिविधि की ही अनुमति होगी।
गोनेर रोड पर गोविन्दपुरा रोपाड़ा के नजदीक 14.10 वर्ग किमी क्षेत्र हैरिटेज सिटी में दर्शाया है। 10 किमी हिस्सा इकोलॉजिकल से बाहर है। यहां के लिए अलग नियम बन रहे हैं।
यों तो मजबूरी नहीं
जयपुर के मौजूदा मास्टर प्लान 2025 में 39.2 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र को ग्रीन व हैरिटेज सिटी में दर्शाया है। अब सरकार या तो मास्टर प्लान में संशोधन करे या फिर इकोलॉजिकल क्षेत्र से बाहर रहे इलाके को उसी तर्ज पर विकसित करें। सरकार कोर्ट के फैसले के चलते सावधानी बरत रही है।
जवाब मांगते सवाल
सरकार निजी विकासकर्ता, निर्माणकर्ताओं की योजनाओं को स्वीकृति देगी। ऐसे में नौकरशाहों के पास मॉनिटरिंग का काम होगा।
टाउनशिप पॉलिसी के तहत योजना बसाने की अनुमति तो होगी, लेकिन ज्यादा से ज्यादा खुला एरिया रहे, इसका प्लान नहीं।
Published on:
28 Jan 2020 09:10 am
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