
जयपुर। जेडीए में कॉलोनियों के नियमन शिविर न लगने की वजह से करीब 50 हजार लोग पट्टे का इंतजार कर रहे हैं। पिछले एक वर्ष से कॉलोनी के नियमन शिविर नहीं लग पा रहे हैं। हालांकि, जेडीसी आनंदी नियमित रूप से बैठक में नियमन शिविर लगाने के निर्देश दे रही हैं, लेकिन जोन कार्यालयों की बेरुखी के चलते शिविर अधर में लटके हुए हैं।
वहीं, जोन उपायुक्तों का कहना है कि जब तक सरकार से स्पष्ट दिशा निर्देश नहीं आ जाते, तब तक शिविर लगाना संभव नहीं है। दरअसल, पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार ने तीन वर्ष तक प्रशासन शहरों के संग अभियान चलाया था।
इसमें करीब चार हजार कॉलोनियों के नियमन शिविर लगाए गए थे। इससे न सिर्फ जेडीए को राजस्व मिला था,बल्कि लोगों को भी अपने भूखंड का पट्टा मिल गया था।
अक्टूबर, 2023 में विधानसभा चुनाव की आचार संहिता लगने के साथ ही शिविर लगना बंद हो गए थे। हालांकि, इससे पहले सरकार ने शिविर की तिथि 31 मार्च, 2024 कर दी थी, लेकिन राज्य में सत्ता बदलने के बाद अभियान गति नहीं पकड़ पाया। हालांकि, तीन वर्ष में करीब डेढ़ लाख पट्टे जारी किए गए थे।
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जेडीसी की जनसुनवाई में नियमित रूप से लोग नियमन शिविर लगाने की अर्जी लेकर पहुंचते हैं। आयुक्त संबंधित जोन में आवेदन भेज देती हैं, लेकिन वहां पर प्रक्रिया शुरू नहीं होती है।
एक अनुमान के मुताबिक 650 से अधिक कॉलोनियों का नियमन होना है। इनमें से कई कॉलोनी ऐसी हैं, जिनमें मूलभूत सुविधाएं भी विकसित हो चुकी हैं। ऐसे में यदि जेडीए इन कॉलोनियों के नियमन शिविर लगाए तो करोड़ों रुपए का राजस्व आएगा।
ग्रेटर निगम में भी लोग पट्टे के लिए चक्कर लगा रहे हैं। पिछली साधारण सभा की बैठक में भी यह मुद्दा प्रमुखता से उठा था। लेकिन, अधिकारियों ने संतुष्टिपूर्वक जवाब नहीं दिया। 22 जनवरी को एक रिपोर्ट में निगम ने माना कि 4678 आवेदन पट्टों के लिए आए। इनमें से 536 लोगों को पट्टे जारी किए गए और 3984 आवेदन खारिज कर दिए गए।
Published on:
02 Feb 2025 09:22 am
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