
मरु सेना का पेस्ट बनातीं वैज्ञानिक।
काजरी के वैज्ञानिकों ने थार की जमीन में फंगस ट्राइकोडर्मा हर्जिनम की पहचान की, जो 45 से 50 डिसे. तापमान में रोग कारकों से लड़ती है। साथ ही फॉस्फेट उत्पादक बैक्टिरिया बेसोलस फर्मस खोजा। यह एंटोगोनिस्ट है। फंगस और बैक्टिरिया मित्रता रखते हैं। दोनों को मिलाकर बायो फॉर्मूलेशन बनाया। इसका नाम मरु सेना रखा है। काजरी को उत्पाद व प्रक्रिया दोनों का पेटेंट मिला है।
यह है फायदा
खरीफ में होने वाली फसलों मूंग, मोठ, तिल में जड़ गलन रोग मुख्य होता है, जिसके कारण पौधे खत्म हो जाते हैं। 'मरु सेना’ रोगकारक को घेरकर खत्म कर देती है।
रबी में जीरे की जड़ काली पड़ जाती है और पौधा खींचने से ही हाथ में आ जाता है। यह गिल्ट से होता है। मरु सेना ने गिल्ट को पीछे धकेल दिया।
मूंगफली में कोलोराट के कारण घेरे बनने लगते हैं। मरु सेना का ट्राइकोडर्मा 60 प्रतिशत तक इसे कम करता है।
&पेटेंट मिलने के बाद अब व्यावसायिक तौर पर उत्पादन किया जाएगा ताकि किसानों को फसलों के रोगों से राहत मिल सके। डॉ. ऋतु मावर, वैज्ञानिक, काजरी
Published on:
02 Jul 2020 06:23 pm
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