
आज की युवा पीढ़ी शादी का नाम सुनते ही शादी को लेकर आनाकानी शुरू कर देती हैं। कैरियर को ही वो लाइफ में सबसे अधिक महत्व देती है और जब कैरियर में सफलता नहीं मिलती हैं तो धीरे—धीरे डिप्रेशन का शिकार होने लगती हैं। यहीं कारण है कि डिप्रेशन की बीमारी सबसे अधिक युवा पीढ़ी को घेर रही है। जबकि एक अध्ययन में भी खुलासा हुआ है कि शादी करने से अवसाद कम हो सकता है।
शादियों का सीजन शुरू होने वाला है। आपने यह कहावत तो सुनी होगी कि शादी का लड्डू जो खाएं वो भी पछताएं और जो न खाएं वो भी पछताएं। इससे तो अच्छा है कि शादी का लडडू खा ही लिया जाए, ताकि पछताना तो नहीं पड़ेगा। हालांकि एक अध्ययन में जो बात सामने आई है उससे शादी करने के बाद किसी तरह का पछतावा नहीं होने के संकेत मिलते हैं। इस अध्ययन के अनुसार शादी करने से अवसाद कम हो सकता है। अध्ययन के मुताबिक जो लोग शादी करते हैं और जिनकी प्रतिवर्ष कुल घरेलू आय 60 हजार अमेरिकी डॉलर से कम है , उनमें अच्छा कमाने वाले अविवाहित लोगों की तुलना में अवसाद के लक्षण कम पाये गये है।
हालांकि अमेरिका में जॉर्जिया स्टेट यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं के मुताबिक अधिक कमाई वाले जोड़ों के लिए शादी से उसी तरह के मानसिक स्वास्थ्य लाभ नहीं दिखते है। जर्नल सोशल साइंस रिसर्च में प्रकाशित एक अध्ययन में यह बात कही गयी है। शोधकर्ताओं ने एक राष्ट्रीय अध्ययन से आंकड़ों की जांच की जिसमें अमेरिका में 24 से 89 वर्ष की आयु में 3,617 वयस्कों के साक्षात्कार शामिल थे और ये कई सालों से विशिष्ट अंतराल पर लिए गए थे। इस सर्वेक्षण में सामाजिक , मनोवैज्ञानिक , मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य विषय शामिल हैं।
जार्जिया स्टेट के एक सहायक प्रोफेसर बेन लेनोक्स कैल ने कहा ,' जो लोग विवाहित है और जो एक वर्ष में 60 हजार अमेरिकी डालर से कम कमाई करते है उनमें अवसाद के कम लक्षण दिखाई देते है।'
Published on:
13 Apr 2018 01:53 pm
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