
leave will now be recommended only on medical board
जयपुर। शिक्षकों को अब प्रशिक्षण कार्यक्रमों में भाग लेना ही होगा, वे अब बहाना लगाकर शिक्षक प्रशिक्षणों से बच नहीं सकेंगे। हर प्रशिक्षण कार्यक्रम में उपस्थिति शत प्रतिशत रहना अनिवार्य होगा। विशेष परिस्थितियों में ही शिक्षकों को इससे छूट मिल सकेगी।
शिक्षक प्रशिक्षणों में संभागियों की उपस्थिति व कर्मचारियों के द्वारा प्रस्तुत सिकनेस की मेडिकल बोर्ड द्वारा जांच कराई जाएगी। हाल ही इस संबंध में राजस्थान माध्यमिक शिक्षा परिषद से भी आदेश जारी किए गए हैं।
गौरतलब है कि शिक्षक प्रशिक्षण शिविरों में बहुत से शिक्षक जाते नहीं हैं और बीमारी या अन्य कोई बहाना लगाकर उनसे छुटकारा पा लेते हैं, लेकिन अब ऐसा नहीं चलेगा। अब उन्हें अवकाश स्वीकृत कराना होगा तो मेडिकल बोर्ड से ही होगा, सिर्फ सिकनेस से काम नहीं चलेगा।
अब ये होगा
यदि किसी शिक्षक या संस्था प्रधान को कार्यमुक्त करने के बाद प्रशिक्षण से पूर्व या प्रशिक्षण के दौरान वह मेडिकल प्रमाण पत्र प्राप्त देता हैं तो उस स्थिति में सीएमएचओ की अध्यक्षता में गठित मेडिकल बोर्ड की अनुशंसा पर ही चिकित्सकीय अवकाश स्वीकृत किया जाएगा। बिना सूचना प्रशिाण से अनुपस्थित कार्मिकों के विरूदृध अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी।
मिल सकती है छूट
प्रशिक्षण के दौरान अत्यावश्यक कार्य होने पर ही प्रशिक्षण से छूट मिल सकती है। इसमें कोई अप्रिय घटना, दुर्घटना आदि होने की स्थिति में प्रकरण जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय भेजने की स्थिति में ही छूट मिल सकती है।
शिक्षक संगठन कर रहे विरोध
अवकाश स्वीकृत करने के लिए मेडिकल बोर्ड की अनुशंसा का शिक्षक विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि यह राज्य सेवा के नियमों के विपरीत है।
बायोमैट्रिक से होगी उपस्थिति
प्रशिक्षण शिविरों में उपस्थिति भी बायोमैट्रिक मशीन से होगी। उपस्थिति सुबह और शाम दोनों समय होगी। इसलिए शिक्षकों को शिविरों में उपस्थित रहना भी जरूरी होगा। प्रदेशभर में इन दिनों अधिकांश शिविर अब आवासीय ही लगाए जा रहे हैं। इसका भी शिक्षक लगातार विरोध कर रहे हैं। शिक्षकों का कहना है कि प्रशिक्षण शिविर स्थल पर रात को रहने और दैनिक कार्यों की कोई व्यवस्था नहीं है।
Published on:
04 May 2018 12:19 pm
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