
Post-Mortem Report: कीटनाशक ले रहा बाघों की जान,राजस्थान में भी हो चुकी है मौत
फसलों ( Crops ) पर छिड़काव में इस्तेमाल होने वाली कीटनाशक दवा ( Pesticide ) ने एक बाघिन (Tigress) को मौत की नींद में सुला दिया। इस बात का खुलासा बाघिन के शव की पोस्टमार्टम रिपोर्ट (Post-Mortem Report ) से हुआहै। राजस्थान ( Rajsathan ) में भी इस प्रकार की बाघ की मौत हो चुकी है। अभी तक कीटनाशकों को कीट पतंगे, पक्षियों की जान के लिए घातक ठहराया जाता रहा है लेकिन अब यह बाघों की भी जान ले रहा है। अधिकारियों के मुताबिक, जंगल से सटे खेतों में गन्ना, गेहूं और धान की फसल में जमकर कीटनाशक का प्रयोग होता है। यह वन्यजीवों के लिए बेहद खतरनाक है। सवाल अब यह है कि बाघिन के पेट में आखिर कीटनाशक दवा कहां से आई। यह वाकया उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी जिले का है, जहां बीते जुलाई में नहर से एक बाघिन का शव बरामद किया गया था। उस समय बाघिन की मौत का कुछ भी कारण स्पष्ट नहीं हुआ,योंकि उसके शरीर पर किसी प्रकार की चोट के निशान नहीं थे। वन विभाग के अधिकारियों ने बाघिन के शरीर को पोस्टमार्टम के लिए बरेली स्थित पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान भेज दिया था। उस समय पोस्टमार्टम के बाद बाघिन का विसेरा सुरक्षित रख लिया गया था, जिसकी रिपोर्ट हाल ही में आई है।
दक्षिण खीरी वन संभाग के अधिकारी समीर कुमार के मुताबिक रिपोर्ट में बाघिन के विसेरा में ऑरगेनोफॉस्फेट ग्रुप के इन्सेक्टिसाइड्स के अंश पाए गए हैं, लेकिन बाघिन के पेट में यह कीटनाशक दवा कैसे पहुंची। इस सवाल पर उन्होंने सिर्फ इतना कहा कि बहरहाल इस बात की जांच की जा रही है। उन्होंने बताया कि बाघिन की उम्र तकरीबन पांच.छह साल रही होगी। इससे पहले आईवीआरआई के निदेशक आरके सिंह से इस संबंध में पूछे जाने पर उन्होंने पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने की पुष्टि करते हुए कहा कि रिपोर्ट संबंधित संभाग के वन अधिकारी को सौंप दी गई है और इस संबंध में वन अधिकारी ही ज्यादा बता सकते हैं। बाघिन की मौत के संबंध में चर्चा यह है कि कीटनाशक दवा युक्त घास चाटने के कारण उसकी मौत हुई है, लेकिन समीर कुमार ने बताया कि इसकी संभावना कम है, क्योंकि पोस्टमार्टम रिपोर्ट में बाघिन के पेट से ***** का मांस खाने के अवशेष मिले हैं।
एक कहावत है कि बाघ भूखा रह लेगा, लेकिन खास नहीं खाएगा लेकिन लोगों का मानना है कि भोजन नहीं पचने पर बाघ घास चबाता है। हालांकि वन विभाग के अधिकारी ने इस बात की पुष्टि नहीं की। एक अनुमान यह लगाया जा रहा है कि लखीमपुर खीरी इलाके में किसान गन्ने की फसल पर कीटनाशक दवाओं का छिड़काव काफी करते हैं, जिसे ***** ने चाट लिया होगा और उस ***** को खाने से बाघिन की मौत हो गई होगी।
......
खीरी में बार बार नहर में मिलते रहे बाघों के शव
2008 में खीरी नहर ब्रांच बांकेगंज में चार वर्ष के बाघ का शव मिला
2012 में परसपुर के पास सुतिया नाले से बाघ का शव पाया गया
014 में फरधान के पास खीरी नहर ब्रांच की तेज धार में बाघ का शव बरामद हुआ
२018 में शारदा सागर डैम में बाघ का शव ग्रामीणों ने निकाला
२019 में फरधान के बिसौली गांव के पास नहर में स्वस्थ बाघ का शव मिला
...............
एसटी वन की मौत भी कीटनाशक से
आपको बता दें कि राजस्थान के सरिस्का अभयारण्य में भी एसटी वन की मौत की वजह कीटनाशक ही बना था। वर्ष २०१० में सरिस्का वन अभयारण्य में 14 नवम्बर को एसटी.वन नामक बाघ की मौत हुई थी। उसकी एफएसएल रिपोर्ट में मौत का कारण कीटनाशक पदार्थ का सेवन बताया गया था। तत्कालीन वन राज्यमंत्री रामलाल जाट ने भी इस संबंध में कहा था कि एसटी वन बाघ की एफएसएल रिपोर्ट में बाघ की मौत का कारण कीटनाशक पदार्थ ओरगनो फास्फोरस का सेवन करना पाया गया है। इतना ही नहीं अतिरिक्त मुख्य प्रधान वन संरक्षक एचएम भाटिया ने भी एफएसएल रिपोर्ट में एसटी वन नामक बाघ के मरने का कारण कीटनाशक पदार्थ होने की पुष्टि की थी। सरकार ने इस मामले में सरिस्का में तैनात तीन वरिष्ठ वन अधिकारियों समेत पाँच वनकर्मियों को लापरवाही बरतने के आरोप में निलंबित कर दिया था।
वन्यजीव विशेषज्ञों का कहना है कि खेतों में कीटनाशक डालना किसानों के लिए भले ही लाभकारी हो, लेकिन वन्यजीवों के लिए कीटनाशक बेहद खतरनाक है। रोकथाम के लिए जरूरी है कि किसान खेती के तरीके में बदलाव करें और कीटनाशक का प्रयोग न के बराबर करें। ब्यूरो रिपोर्ट पत्रिका टीवी
Published on:
21 Oct 2019 06:19 pm
बड़ी खबरें
View Allजयपुर
राजस्थान न्यूज़
ट्रेंडिंग
