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लश्कर के 8 आतंकियों को आजीवन कारावास, जयपुर कोर्ट ने सुनाया फैसला, यूं चला घटनाक्रम

लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े तीन पाकिस्तानियों समेत आठ आतंकियों को एडीजे कोर्ट—17 जयपुर महानगर ने बुधवार को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है।

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ADJ Court Jaipur

LDC Bharti 2013

जयपुर। देश में आतंकी गतिविधियां चलाने वाले लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े तीन पाकिस्तानियों समेत आठ आतंकियों को एडीजे कोर्ट—17 जयपुर महानगर ने बुधवार को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। साथ ही सभी आतंकियों पर 3-3 लाख रुपए का जुर्माना लगाया है। बता दें कि 30 नवंबर को कोर्ट ने लश्कर के आठ आतंकियों दोषी माना था और सोमवार को सजा सुनाई जानी थी, लेकिन तय समय पर सजा का ऐलान नहीं हो सका। आखिरकार बुधवार को कोर्ट ने सभी आतंकियों को सजा सुनाई। बचाव पक्ष के वकील ने कहा कि हम कोर्ट के फैसले का सम्मान करते हैं, लेकिन हम अपने बचाव के लिए हाईकोर्ट जाएंगे।

गौरतलब है कि दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल से मिली सूचना से तीनों आतंककारियों की गतिविधियों की जानकारी मिलने पर एटीएस ने अक्टूबर, 2010 में इनको गिरफ्तार किया था। दिल्ली पुलिस ने राजस्थान एटीएस को राजस्थान से पाकिस्तान और पाकिस्तान से बीकानेर में फोन आने की सूचना दी थी।

एटीएस जांच में पता चला कि बीकानेर जेल में बंद पाकिस्तानी आतंकी असगर अली और लश्कर—ए—तैयबा के चीफ कमांडर विक्की उर्फ वलीद भाई के बीच फोन पर बातचीत हो रही है। एटीएस को लश्कर कमांडर से उदयपुर के बाबू उर्फ निशाचंद अली, पवन पुरी और नागौर का अरूण जैने भी संपर्क में होने की जानकरी मिली।

असगर अली ने ही बाबफ उर्फ निशाचंद अली और पवन पुरी से बीकानेर जेल में दोस्ती गांठकर उन्हें संगठन का सदस्य बनाया था। कोर्ट ने सभी आरोपियों को विधि विरूद्व क्रियाकलाप अधिनियम की धारा 13—ए 18—ए 18 बी और 20 में सभी को दोषी माना है और 10—ए 18—ए और 21 में सभी को दोषमुक्त किया है।

यूं चला घटनाक्रम
छानबीन के बाद एटीएस ने एसओजी थाने में मामला दर्ज करवाया।

21 अक्टूबर 2011 को मामला दर्ज हुआ।

15 अप्रैल 2011 को मुख्य महानगर मजिस्ट्रेट जयपुर के यहां चालान पेश किया गया।

15 अक्टूबर 2011 के जार्च सुनाए गए।

फिर एडीजे—17 कोर्ट ने लगातार सुनवाई की।

मामले की अभियोजन पक्ष ने अपनी तरफ से 69 गवाहों के बयान करवाया।

288 दस्तावेजी साक्ष्य और 20 आर्टिकल भी अदालत के सामने पेश किए गए।