
राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय के उत्पल झा ने किया नाटक का निर्देशन
जयपुर. किसी भी समाज में अक्सर वहां के रहने वाले लोग वर्गों में बंटे होते हैं। मसलन अमीर तबका पॉश इलाके में रहता है, तो फटेहाल गरीब झुग्गी-झोंपड़ी में दम तोड़ देता है। मध्यम वर्ग ‘अच्छे दिनों की आस’ में कोने में सिमटा रहता है। शुक्रवार शाम जवाहर कला केन्द्र के रंगायन सभागार में अमरीकी लेखक एडवर्ड एल्बी के लिखे एवं उत्पल झा निर्देशित नाटक ‘द जू स्टोरी’ का मंचन हुआ। मुख किरदार ‘पीटर’ और ‘जैरी’ वर्ग भेद, अकेलेपन और निराशा का हाथ थामे पेश हुए। जैसे जू में अलग-अलग पिंजरे वन्य जीवों की ‘हद’ को दर्शाते हैं, एक जानवर दूसरे के ‘क्षेत्र’ में नहीं जाता, वैसे ही समाज के भी अपने ‘पिंजरे’ हैं, जो हमें अलग कर देते हैं।
तपती जमीन पर बूंद-सी जिंदगी
नाटक में दिखाया कि पीटर एक ढर्रे पर बीत रही जिंदगी से बोर हो चुका है। वहीं जैरी फटेहाल है जो कोशिशों के बावजूद ‘कुछ’ बन नहीं सका। दोनों ‘अभाव’ और ‘दबाव’ भरे दो अलग वर्गों का हिस्सा हैं। दोनों की मुलाकात एक पार्क में होती है। जैरी आत्महत्या करने से पहले अपनी कहानी पीटर को सुनाता है। अंत में जैरी जान दे देता है, लेकिन उसकी बातें पीटर पर गहरा असर डालती हैं और वह खुद को जैरी की जगह महसूस करता है। वहीं, कृष्णायन सभागार में अनिल मारवाड़ी निर्देशित नाटक ‘भेळी बात’ राजस्थान की चर्चित बातपोशी शैली में हुआ। राजस्थानी कहावतों-किस्सों का अभिनय संग मिश्रण रुचिकर था।
Updated on:
16 Sept 2023 02:40 pm
Published on:
16 Sept 2023 02:25 pm
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