
पीकेसी- ईआरसीपी आईएलआर परियोजना में राजस्थान को 3677 मिलीयन क्यूबिक मीटर मिलेगा पानी
ईआरसीपी प्रोजेक्ट की दुविधाएं दूर हो गई है। एमपी और राजस्थान के बीच एमओयू होने के बाद अब प्रोजेक्ट को गति मिल सकेगी। इस प्रोजेक्ट का भाजपा आगामी लोकसभा चुनाव में भी फायदा उठाएगी। प्रदेश के 13 जिलों की 83 विधानसभा और 9 लोकसभा सीटों पर इस प्रोजेक्ट का प्रभाव पड़ेगा। भाजपा राम मंदिर की प्राण-प्रतिष्ठा के साथ-साथ इस प्रोजेक्ट के जरिए भी चुनावी वैतरणी पार करने की तैयारी में जुट गई है।
राज्य में ईआरसीपी का क्षेत्र 13 जिलों में आता है। इसमें भी सर्वाधिक पूर्वी राजस्थान का इलाका है। इस प्राेजेक्ट से जयपुर ग्रामीण, दौसा, अलवर, भरतपुर, टोंक-सवाईमाधोपुर, अजमेर, बारां-झालावाड़, कोटा-बूंदी, धौलपुर-करौली लोकसभा सीटों पर सीधा असर पड़ेगा। विधानसभा चुनाव में भी भाजपा को पूर्वी राजस्थान से जबर्दस्त समर्थन मिला है। जबकि 2018 के विधानसभा चुनाव में पूर्वी राजस्थान में आने वाले भरतपुर संभाग में भाजपा केवल एक सीट पर ही जीत पाई थी। हालांकि बाद में राज्यसभा चुनाव में क्रॉस वोटिंग के चक्कर में शोभारानी कुशवाह को बाहर का रास्ता दिखाया गया।
कांग्रेस ने बनाया था मुद्दा, मगर हुई फेल
विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने ईआरसीपी को मुद्दा बनाया था। कांग्रेस ने आरोप लगाया था कि केंद्र में भाजपा की सरकार होने की वजह से ईआरसीपी को राष्ट्रीय परियोजना घोषित नहीं किया गया। इसे लेकर दोनों तरफ बयानबाजी का दौर भी चला। हालांकि जब चुनाव हुए तो कांग्रेस को इसका खास फायदा नहीं मिल पाया। उलटे पूर्वी राजस्थान में भाजपा आगे रही और कांग्रेस को तगड़ा झटका लगा।
25 सीटों पर जीत की हैट्रिक लगाने की तैयारी
भाजपा ने इस बार भी सभी 25 सीटों पर जीत की हैट्रिक लगाने की तैयारी की है। पिछले दो लोकसभा चुनाव में कांग्रेस का राजस्थान में खाता भी नहीं खुला। 2019 में भाजपा ने 24 और उनके गठबंधन वाली पार्टी रालोपा ने एक सीट पर जीत दर्ज की। रालोपा से गठबंधन टूट चुका है, ऐसे में भाजपा इस बार सभी 25 सीटों पर चुनाव लड़ेगी।
Published on:
31 Jan 2024 06:55 pm
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