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भाजपा की परेशानी : पार्टी लड़ाना चाहती है चुनाव, नेता नहीं उतरना चाहते मैदान में

locationजयपुरPublished: Mar 15, 2019 09:49:26 pm

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भाजपा की परेशानी : पार्टी लड़ाना चाहती है चुनाव, नेता नहीं उतरना चाहते मैदान में

अरविन्द शक्तावत / जयपुर. राज्य की सत्ता से बाहर होने के बाद अब भाजपा के कुछ विधायक एवं पूर्व मंत्रियों ने दिल्ली की राह पकड़ने की तैयारी कर ली है। छोटे बड़े सभी नेता दिल्ली में जोड़ तोड़ कर टिकट की तलाश कर रहे हैं। खास बात यह है कि हाल में भाजपा का टिकट लेकर विधानसभा चुनाव तक हार चुके नेता भी इस दौड़ में शामिल हैं।
वहीं भाजपा में ऐसे विधायक भी शामिल हैं जो लोकसभा चुनाव लड़ने से बच रहे हैं। दरअसल उन्हें हार-जीत के भय से ज्यादा प्रदेश की राजनीति में बने रहना पसंद है। भविष्य में पार्टी के प्रदेश की सत्ता में लौटने पर मुख्यमंत्री और वरिष्ठ मंत्री बनने की आस लगाए बैठे ऐसे नेताओं का तर्क साफ है कि कद के अनुरूप उनके लिए केन्द्र से ज्यादा राज्य में बेहतर मौके हैं। कुछ नेता तो परिवारिक राजनीतिक विरासत को केन्द्र एवं राज्य की सत्ता में बनाए रखने के मकसद से खुद चुनाव लड़ने को तैयार नहीं हैं। एक नाम तो इतना बडा है कि सब स्वीकार कर रहे हैं कि उनको पार्टी टिकट देना चाहती है, लेकिन पारिवारिक मोह में वह चुनाव लडने को तैयार नहीं हैं।
राजे नहीं उतरना चाहती मैदान में
केन्द्रीय नेत्तृव पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को बारां-झालावाड़ सीट से चुनाव में उतारने का पक्षधर है। इसी सीट से उनके बेटे दुष्यंत सिंह लगातार तीन बार से सांसद हैं। ऐसी स्थिति में यदि वहां से वसुंधरा को उतारा जाता है तो दुष्यंत के टिकट पर गाज गिरेगी। ऐसी स्थिति से बचने के लिए वसुंधरा चुनाव में उतरने को तैयार नहीं हैं।
विधानसभा में हार गए, लोकसभा में दावा ठोका
टिकट की आस में कुछ ऐसे कद्दावर नेता भी हैं, जो विधानसभा चुनाव में तो हार गए लेकिन लोकसभा का टिकट लेकर दिल्ली की सरकार में भागीदारी निभाने की उम्मीद रखते हैं। बारां से चुनाव हार चुके पूर्व केबिनेट मंत्री प्रभुलाल सैनी टोंक-सवाईमाधोपुर से जुगत में भिड़े हैं। सिविल लाइंस से सीट गंवा चुके अरुण चतुर्वेदी ने जयपुर शहर से दावेदारी कर रखी है। श्रीचंद कृपलानी अजमेर और चित्तौडगढ़ से टिकट मांग रहे हैं। इसी तरह मंत्री रहते पहले लोकसभा उप चुनाव और फिर विधानसभा चुनाव में हार चुके जसवंत सिंह ने अलवर से टिकट पाने की खातिर दिन-रात एक कर रखी है।
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