
गोविन्ददेव जी मंदिर में अभिषेक (फोटो- अनुग्रह सोलोमन)
जयपुर। जन्माष्टमी का दिन मानो शहर के लिए द्वापर युग का पुनर्जागरण बन गया। गोविंददेवजी मंदिर में प्रवेश करते ही हर ओर 'हरे कृष्ण… गोविंद… राधे-श्याम' की गूंज से वातावरण कंपायमान हो उठा। कतारों में खड़े बच्चे हों या बुजुर्ग, हर मन में बस एक ही आकांक्षा थी… आराध्य गोविंद के दिव्य दर्शन हो जाएं। पीताम्बर वस्त्रों और अद्वितीय अलंकारों से सजे ठाकुरजी के विग्रह के सामने आते ही भक्तों के कदम रुक गए, मानो समय ठहर गया हो।
जन्माष्टमी की रात गुलाबी नगरी श्रद्धा और भक्ति से सराबोर रही । आधी रात जैसे ही 'नंद घर आनंद भयो' की गूंज उठी, पूरा शहर वृंदावन बन गया। हजारों श्रद्धालु आराध्य देव गोविन्द देवजी की झलक पाने को उमड़ पड़े और मध्यरात्रि में कान्हा के जन्म का उत्सव आंसुओं और जयकारों के बीच झूमता रहा।
महंत अंजन कुमार गोस्वामी के सान्निध्य में 31 हवाई गर्जनाओं, रंग बिरंगी रोशनी, आतिशबाजी के बीच ठाकुर जी का 897 किलो पंचामृत से अभिषेक हुआ। जन्म के साथ ही आराध्य की झलक पाते ही भक्तों के नेत्र सजल हो उठे। बलाइयां लेने के लिए हजारों हाथ एक साथ उठे। दर्शनों के लिए भक्तों का तांता देर रात तक देखने को मिला।
श्रद्धालु स्वयं को गोकुल और वृंदावन की गलियों में अनुभव कर रहे थे। मंदिर प्रांगण फूलों की वर्षा, दीपों की आभा और झालरों की सजावट से प्रकाशित था। घंटा-घड़ियाल की झंकार और हर ओर गूंजते जयकारों ने पूरा वातावरण ईश्वरीय ऊर्जा से सराबोर कर दिया। मंगला आरती से लेकर जन्माभिषेक तक हर क्षण में उमंग और भक्ति का ज्वार उमड़ता रहा। दिनभर में लगभग सात लाख श्रद्धालुओं ने ठाकुरजी के दर्शन किए।
महिलाएं अपने लड्डू गोपाल को गोद में लेकर पहुंचीं तो बच्चों के चेहरों पर कृष्ण-लीला का उत्साह छलक उठा। चारदीवारी की गलियों में भीड़, जाम और बैरिकेडिंग की कठिनाइयों के बावजूद भक्तों की श्रद्धा और आनंद में कोई कमी नहीं आई।
कान्हा के दर्शन के लिए आम से लेकर खास तक हर कोई कृष्ण भक्ति में डूबा नजर आया। वृंदावन की पोशाक से लेकर मुंबई की ज्वैलरी और देशी विदेशी फूलों का शृंगार किया गया। कुछ जगहों पर मटकी प्रतियोगिताएं आयोजित की गई। मंगला झांकी से ही गोविंददेवजी सहित सभी प्रमुख कृष्ण मंदिरों में भक्तों का सैलाब उमड़ पड़ा। शहर के कोने-कोने से पहुंचे श्रद्धालुओं ने जब ठाकुरजी के दर्शन किए तो मंदिर परिसर जयकारों से गूंज उठा।
भगवान के बाल रूप होने के कारण चौड़ा रास्ता स्थित राधा-दामोदर जी, नाहरगढ़ पहाड़ी स्थित चरण मंदिर, रामंगज स्थित लाड़ली जी मंदिर में महंत संजय गोस्वामी के सान्निध्य में दोपहर में कान्हा प्रगटे। बैंडवादन के बीच जन्माभिषेक हुए। पुरानी बस्ती स्थित गोपीनाथ जी मंदिर में महंत सिद्धार्थ गोस्वामी के सान्निध्य में अभिषेक हुआ। भगवान ने आरी तारी की पोशाक धारण की।
झांकी में माखन-मिश्री, धनिये की पंजीरी और छप्पन भोग सजाए गए। चरण मंदिर में महंत सुरेश पारीक के सान्निध्य में अभिषेक हुए। 11 हजार लड्डूओं का भोग लगाया। जगतपुरा स्थित कृष्ण बलराम, मानसरोवर इस्कॉन, आनंद कृष्ण बिहारी, बृजनिधिजी, राधा गोपीनाथ जी, बिड़ला मंदिर स्थित लक्ष्मीनारायण मंदिर, रामचंद्र जी, कनक वृंदावन मंदिर सहित अन्य मंदिरों में भक्त प्रभु के दर्शनों के लिए पहुंचे।
महिलाओं ने कान्हा के लिए माखन मिश्री सहित अनेक व्यंजन तैयार किए। इस बीच छोटे बच्चे राधा कृष्ण की पोशाक पहने मंदिरों में पहुंचें। भक्तों ने व्रत रखकर जन्मोत्सव की खुशियां मनाई। मध्यरात्रि में जन्माभिषेक और आरती कर भक्तों को पंजीरी और प्रसाद वितरित किया गया। दर्शनों के लिए बड़ी स्क्रीन भी लगाई गई। हालांकि शाम को मंदिरों में भक्तों को दर्शनों के लिए 30 मिनट तक लाइन में इंतजार करना पड़ा।
जगतपुरा कृष्ण बलराम मंदिर में सुबह से मेला सा माहौल रहा। मंदिर को रंग-बिरंगी रोशनी से सजाया गया है। मंगला आरती में भगवान नवरत्न धारण किया। रात को नंदलाला के महाभिषेक और महाआरती हुई। मंदिर के अध्यक्ष अमितासना दास ने बताया कि भगवान से सुनहरी रेशम की पोशाक धारण की। 108 तरह के भोग अर्पित किए। पंचामृत और कई हजार लीटर फलों, औषधियों से अभिषेक के बाद मिष्ठान और माखन मिसरी का भोग लगाया।
Published on:
17 Aug 2025 09:33 am
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