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इस बार महाशिवरात्रि 18 फरवरी को मनाया जा रही है। यह पर्व फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है। शास्त्रों के मुताबिक यह दिन भगवान भोलेनाथ को खुश करने के लिए सर्वश्रेष्ट होता है। इस दिन भगवान शिव की पूजा-अर्चना के साथ ही व्रत करने का भी विधान है। महाशिवरात्रि के दिन सच्चे मन से व्रत करने वाले भक्तों के घर में सुख-समृद्धि आती है। महाशिवरात्रि में देवों के देव महादेव को प्रसन्न करने के लिए भक्त अनेक प्रकार के पूजा विधि को अपनाते है भगवान भोलेनाथ पर जलाभिषेक, शहद अभिषेक, पंचामृत अभिषेक और रुद्राभिषेक से पूजा की जाती है। जो भक्त विधि-विधान से भगवान भोलेनाथ की पूजा करते हैं उन सब पर देवाधिदेव महादेव की कृपा प्राप्त होती है। ऐसे में महाशिवरात्रि के मौके पर आप सभी को राजस्थान के प्रसिद्ध शिव मंदिर के दर्शन करना चाहिए।
अचलेश्वर महादेव मंदिर
अचलेश्वर महादेव मंदिर राजस्थान के माउण्ट आबू में स्थित है। यह दुनिया का एकमात्र ऐसा मंदिर है जहां भगवान शिव के पैर के अंगूठे की पूजा की जाती है। यहां भगवान शिव के पैर के अंगूठे के रूप में विराजमान हैं। राजस्थान का एकमात्र हिल स्टेशन माउंट आबू है। जिसे "अर्धकाशी" के रूप में भी जाना जाता है, क्योंकि इसमें भगवान शिव के कई प्राचीन मंदिर हैं। 'स्कंद पुराण' के अनुसार, "वाराणसी शिव की नगरी है, तो माउंट आबू को भगवान शंकर की उपनगरी के रूप में जाना जाता है। मंदिर में भगवान शिव के वाहन नंदी की एक विशाल मूर्ति है, जिसका वजन लगभग 4 टन है। नंदी की मूर्ति पांच धातुओं से बनी है, जिसमें सोना, चांदी, तांबा, पीतल और जस्ता मिला हुआ है।
शिवाड़ के घुश्मेश्वर महादेव
महाशिवरात्रि के दिन शिवाड़ के प्रसिद्ध घुश्मेश्वर महादेव को राजस्थान का ज्योतिर्लिंग भी कहा जाता है। यह मंदिर सवाईमाधोपुर जिले में स्थित है। घुश्मेश्वर महादेव मंदिर को भगवान शिव के बारहवें ज्योतिर्लिंग में से एक माना जाता है। कहा जाता है कि घुश्मा नामक एक ब्राह्मण की शिव भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उसे अपने नाम से ही यहां निवास करने का वरदान दिया था। शिव मंदिर कितना पुराना है, इसका विवरण तो उपलब्ध नहीं है, बड़े पैमाने पर निर्माण के कारण कहीं-कहीं पर मंदिर का मूल स्वरूप भी बिगड़ गया है, लेकिन मंदिर का गर्भगृह आज भी जस का तस है।
झारखंड महादेव मंदिर
झारखंड महादेव मंदिर राजस्थान की राजधानी वैशाली नगर के पास प्रेमपुरा गांव में स्थित है, यह भगवान शिव का एक अनूठा मंदिर है। क्योंकि इस मंदिर को दक्षिण भारतीय शैली में बनाया गया है। 1918 तक यह मंदिर बहुत छोटा हुआ करता था। केवल मंदिर का मुख्य द्वार दक्षिण भारतीय मंदिरों के समान है। आंतरिक गर्भगृह उत्तर भारतीय मंदिरों से प्रेरित है। यह मंदिर अपने आप में बहुत खास है। गर्भगृह के निर्माण के समय शिवालय में स्वत: ही पेड़ से उग आए, उसके बाद पेड़ नहीं काटे गए। बल्कि इसका निर्माण पेड़ के साथ ही किया गया था।
सिरोही के सारणेश्वर महादेव
सिरोही के सारणेश्वर महादेव मंदिर में हमेशा भक्तों की कतार लगी रहती है। सिरोही का सारणेश्वर महादेव मंदिर भी आस्था का केन्द्र है.इस मंदिर के पीछे पहाड़ों के बीच से पानी बहता है। जिसे शुक्ल तीज तालाब के नाम से जाना जाता है। जबकि सामने वैजनाथ महादेव का मंदिर है। इस मंदिर में लोगों के बीच आज भी बड़ी श्रद्धा है।
जलंधरनाथ महादेव मंदिर
जालौर किले में महादेव मंदिर में सोमनाथ के शिवलिंग का अंश के रूप में पूजा की जाती है। इस मंदिर को सोमनाथ महादेव के नाम से भी जाना जाता है। किले पर महादेव के प्राचीन मंदिर में, भगवान महादेव देवी पार्वती, भगवान गणेश और भगवान कार्तिकेय के साथ एक अलग प्रकार के शिवलिंग में मौजूद हैं।
Updated on:
17 Feb 2023 10:18 pm
Published on:
17 Feb 2023 06:02 pm
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