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Rajasthan : मकर संक्रांति आज, श्रद्धा और उल्लास संग मनाया जा रहा है पर्व

Rajasthan Makar Sankranti Today : मकर संक्रांति का पर्व आज है। देर रात सूर्य ने मकर राशि में प्रवेश किया। उसके बाद आज मकर संक्रांति पर्व शुरू हो गया है। श्रद्धालु कुंड-सरोवर में पवित्र स्नान कर रहे हैं। आज से दिन बड़े और रातें छोटी होने लगेगी।

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Makar Sankranti

दान-पुण्य और पतंगबाजी का पर्व मकर संक्रांति सोमवार को श्रद्धा और उल्लास के साथ पूरे सूबे में मनाया जा रहा है। मकर संक्रांति का पर्व आज है। तड़के से ही गलता सहित अन्य तीर्थों, कुंड व सरोवर में श्रद्धालु पवित्र स्नान कर रहे हैं। मंदिरों में आराध्य के दर्शन के बाद गो सेवा के साथ ही दान-पुण्य किया जा रहा है। मंदिरों में पतंगों की झांकी सजाई गई है। इससे पूर्व रविवार देर रात सूर्य का मकर राशि में प्रवेश हुआ। वर्ष 2027 में मकर संक्रांति 15 जनवरी को आएगी। ज्योतिषाचार्य पं.दामोदर प्रसाद शर्मा ने बताया कि रविवार रात 2.43 बजे सूर्य ने तुला लगन में मकर राशि में प्रवेश किया। करीब 31 साल बाद मकर संक्रांति का प्रवेश अश्व पर हुआ है। साथ ही उसका उप वाहन सिंह है। इससे व्यापारिक क्षेत्र में प्रगति व आमजन के वैभव में भी वृद्धि होगी।

मकर संक्रांति एक तरह से देवताओं का प्रभात काल है। इस दिन स्नान, दान, जप-तप, अनुष्ठान आदि का आध्यात्मिक महत्व है। इस दिन किए गए दान का फल 100 गुणा प्राप्त होता है। धीरे-धीरे दिन बड़े और रातें छोटी होने लगेंगी।



भगवान राम ने इसी दिन उड़ाई थी पतंग

ज्योतिषाचार्य पं.पुरुषोत्तम गौड़ के अनुसार मकर संक्रांति के दिन देवता धरती पर अवतरित होते हैं व आत्मा को मोक्ष की प्राप्ति होती है। तुलसीदास ने रामचरित मानस में भगवान राम के बाल्यकाल का वर्णन करते हुए लिखा है कि भगवान राम ने इसी दिन पतंग उड़ाई थी। उनकी पतंग इंद्रलोक में पहुंच गई थी। बालकांड में लिखे श्लोक 'राम इक दिन चंग उड़ाई, इंद्रलोक में पहुंची। इसी दिन भगवान राम और हनुमान जी की मित्रता भी हुई थी।

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खत्म होगा मलमास

ज्योतिषाचार्य हिमानी शास्त्री ने बताया कि मकर संक्रांति को खरमास (मलमास) का समापन होगा व मांगलिक कार्यों की शुरुआत होगी। हालांकि पंचागीय सावे 16 जनवरी से शुरू होंगे।

14 वस्तुओं का दान-पुण्य का विशेष महत्व

सोमवार को सूर्य पूजा के साथ 14 वस्तुओं का दान-पुण्य का विशेष महत्व है। रवि व कुमार योग का भी संयोग बना है। मकर संक्रांति का पुण्यकाल सुबह 7.15 से शाम 6.21 बजे तक रहेगा। महा पुण्यकाल सुबह 7.15 से 9.06 बजे तक रहेगा। इस दिन गंगा नदी में स्नान से 10 अश्वमेध यज्ञ और 1000 गाय दान करने के समान पुण्य फल मिलता है। घर पर गंगा जल मिश्रित जल से भी स्नान किया जा सकता है। जूते, अन्ना, तिल, गुड़, गर्म वस्त्र व कंबल दान करने से शनि और सूर्य देव की कृपा प्राप्त होती है। साथ ही ग्रह-दोष दूर होते हैं।

बाजारों में रही भीड़

सोमवार को महिलाएं 14-14 वस्तुएं कळपेंगी। सास-ससुर सहित बड़े लोगों को कपड़े भी पहनाए जाएंगे। रविवार को नाहरगढ़ रोड, चांदपोल व बड़ी चौपड़ सहित अन्य प्रमुख बाजारों में भीड़ रही।

आज राशि के अनुसार यह करें दान

मेष : तिल व कंबल का दान,
वृषभ : चावल, चीनी, गर्म खाद्य पदार्थ, धार्मिक पुस्तकें
मिथुन : मूंग व तिल
कर्क : रेवड़ी, तिल के लड्डू, धार्मिक पुस्तकें व फीणी
सिंह : चारा व गेहूं
कन्या : गर्म वस्त्र, धार्मिक पुस्तकें, गर्म पकवान
तुला : तिल के लड्डू, फीणी और उड़द
वृश्चिक : काले तिल, लाल ऊनी वस्त्र
धनु : कंबल व शॉल
मकर : उड़द, चावल और ऊनी वस्त्र
कुंभ : स्वेटर, काले कपड़े, तिल से बने पकवान
मीन : धार्मिक पुस्तकें, तिल के लड्डू और फीणी। (ज्योतिषाचार्य पं.पुरुषोत्तम गौड़ के मुताबिक)

मंदिरों में सजी पंतगों की झांकी, ठाकुरजी ने उड़ाई सोने की पतंग

शहर के देवालयों में पतंग-डोर की झांकी सजाई गई। गोविंददेव जी मंदिर में ठाकुरजी ने राधा-रानी के साथ रियासतकालीन सोने की पतंग उड़ाई। राधाजी और सखियां चांदी की चरखी थामे नजर आईं। सोमवार को भी ठाकुरजी के पतंगों की झांकी के दर्शन होंगे। दर्शनार्थियों को बेटी बचाओ, जल संरक्षण का संदेश लिखी पतंगें दी गईं। गलता गेट स्थित गीता गायत्री मंदिर में पं. राजकुमार चतुर्वेदी के सान्निध्य में पतंगोत्सव मनाया गया। सरस निकुंज में ठाकुर राधा सरस बिहारी सरकार ने भी पतंग उड़ाई।

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