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हजारे के फूलों की खेती से कम लागत में अधिक मुनाफा, 50 दिन में फूल आना हो जाते हैं शुरू

जयपुर जिले के जैतपुरा भूरथल निवासी किसान रामवतार सैनी पिछले 15 वर्षों से हजारे के फूलों की खेती कर रहे हैं। हजारे के कई किस्मों की खेती यहां होती है जिसमें गुलदावरी सबसे महंगी किस्म का फूल है। इस खेती में उन्हें कम लागत व कम मेहनत में अधिक मुनाफा मिल रहा है।

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जितेन्द्र कुमार सैन @ जैतपुरा। जयपुर जिले के जैतपुरा भूरथल निवासी किसान रामवतार सैनी पिछले 15 वर्षों से हजारे के फूलों की खेती कर रहे हैं। हजारे के कई किस्मों की खेती यहां होती है जिसमें गुलदावरी सबसे महंगी किस्म का फूल है। इस खेती में उन्हें कम लागत व कम मेहनत में अधिक मुनाफा मिल रहा है। इसमें बड़ा फायदा यह है कि इसे आवारा पशु नहीं खाते और रोग कम से कम लगता है।

पौधे को चार दिन में एक बार पानी
बूंद-बूंद सिंचाई होने से पानी का भी कम ही उपयोग होता है। इसके पौधे को चार दिन में एक बार ही पानी की जरूरत होती है।

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पौध लगाने के 50 दिन बाद आते हैं फूल
हजारे की पौध लगाने के बाद 50 दिन में फूल आना शुरू हो जाते हैं। फूल तोड़ने के पश्चात अन्य स्थानों पर जमीन को तैयार कर हजारे की पौध लगा दी जाती है। तब तक लगाई गई पौध से फूल आना शुरू हो जाते हैं। खेत की बुवाई जुताई कर उस में ड्रिप के पाइप बिछा दिए जाते हैं इसके बाद हजारे की पौध लगाई जाती है। लगभग वर्ष भर ही हजारे के फूलों की खेती चलती रहती है।

गुलदावरी किस्म की मांग अधिक
चौथमल सैनी का कहना है कि हजारा, कलकत्ती हजारा, हाईब्रिड पीला, ओरेंज सभी किस्म साल भर चलते है। गुलदावरी साल मे दो बार होती है इसकी मांग दिल्ली, सूरत, मुबई, अहमदाबाद, जयपुर समेत अनेक स्थानों पर है।