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Mauni Amavasya: सवा घंटे मौन व्रत रखने से मिलता है 16 गुना अधिक फल, 20 साल बाद बना ऐसा संयोग

Mauni Amavasya 2023 : आत्मा के विकारों को दूर कर ध्यान मार्ग को आलोकित करने और परमात्मा से संवाद का पर्व Mauni Amavasya पूर्वाषाढ़ा-उत्तराषाढ़ा नक्षत्र और हर्षण योग में वर्ष की पहली Shanishchari Amavasya पर शनिवार को मौनी अमावस्या के रूप में मनाया जाएगा।

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Mauni Amavasya 2023 : जयपुर। आत्मा के विकारों को दूर कर ध्यान मार्ग को आलोकित करने और परमात्मा से संवाद का पर्व मौनी अमावस्या पूर्वाषाढ़ा-उत्तराषाढ़ा नक्षत्र और हर्षण योग में वर्ष की पहली शनैश्चरी अमावस्या पर शनिवार को मौनी अमावस्या के रूप में मनाया जाएगा।

ज्योतिषविदों के मुताबिक माघ मास में शनिवार के दिन बन रहे इस विशेष संयोग को स्नान-दान का महापर्व भी कहा गया है। इस दिन मौन रहने के साथ स्नान, दान व पित्तृ तर्पण का विशेष महत्व है। भक्त गलता तीर्थ, पुष्कर व प्रयागराज सहित अन्य तीर्थों में आस्था की डुबकी लगाएंगे। स्कंद, पद्म और विष्णुधर्मोत्तर पुराण के मुताबिक इस दिन किए गए पुण्य कर्म से कई यज्ञ और कठिन तप के बराबर फल मिलता है।

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ज्योतिषाचार्य पं. दामोदर प्रसाद शर्मा ने बताया कि माघी अमावस्या शनिवार सुबह करीब 6.18 से रविवार रात करीब 2.23 तक रहेगी। अत: स्नान, दान, श्राद्ध और पूजा-पाठ शनिवार को ही करना शुभ रहेगा। अमावस्या शनि देव की जन्म तिथि भी है। इस दिन शनि अपनी ही राशि कुंभ में विराजमान रहेंगे। शर्मा ने बताया कि संक्रांति जिस वार को लगती है, यदि उसी वार में अमावस्या आए तो खप्पर योग का निर्माण भी होगा।

इस बार भी ऐसा ही संयोग बनेगा। 1 फरवरी, 03 को माघ महीने की अमावस्या पर शनिवार के दिन मौनी अमावस्या का संयोग बना था। अगली बार यह संयोग छह फरवरी, 27 को बनेगा। ज्योर्तिविद पं. घनश्याम लाल स्वर्णकार के मुताबिक मौनी अमावस्या के दिन मनु ऋषि का जन्म हुआ था। महात्मा बुद्ध के अनुसार मौन व्रत उदासी, ग्लानि और दुख को निगल जाता है तथा आनंद-प्रेम को जन्म देता है। धार्मिक मान्यता है कि मौनी अमावस्या पर सवा घंटे मौन व्रत रखने से 16 गुना अधिक फल प्राप्त होता है।

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मौन से साधे जा सकते हैं सभी कार्य
दिगंबर जैन आचार्य सुनील सागर ने बताया कि मौन से सभी काम साधे जा सकते हैं। कई बार बोलने से बातें बिगड़ जाती है, जबकि मौन से शांति मिलती है। दिगंबर मुनि हमेशा इसकी पालना करते हैं। मौनी अमावस्या के दिन मौन व्रत से व्यक्ति के विकार नष्ट व वाणी दोष दूर हो जाते हैं। इंद्रियों पर काबू करने की शक्ति मिलती है। स्नान-दान से आत्मविश्वास में वृद्धि व आध्यात्मिकता का भी विकास होता है।

मौन से एकाग्रता के साथ ही श्वसन व जीवन पर ध्यान केंद्रित करने में आसानी रहती है। वाणी में संयम भाव जागृत होने से सकारात्मक बदलाव महसूस होता है।
डॉ. गौरव राजेंद्र, साइकाइट्रिस्ट


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