
जयपुर।
गहलोत सरकार के पशुपालन मंत्री लालचंद कटारिया ने आज विधानसभा सदन में राज्य पशु ऊंट के संदर्भ में एक हैरान कर देने वाला जवाब दिया। प्रदेश में ऊंट को राज्य पशु का दर्जा दिए जाने के सवाल पर चर्चा के दौरान कटारिया ने कहा कि ऊंट को राज्य पशु का दर्जा क्यों दिया गया है और इसके क्या फायदे हैं इसके बारे में मुझे जानकारी नहीं है। उन्होंने कहा कि जब वर्ष 2015 में इसी सदन ने अधिनियम बनाकर ऊंट को राज्य पशु घोषित किया था तब मैं यहां मौजूद नहीं था।
दरअसल, विधानसभा सत्र की आज शुरू हुई सदन की कार्यवाही का पहला प्रश्न ही प्रदेश में ऊंटों की स्थितियों को लेकर रहा। शिव विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस विधायक अमीन खां ने सरकार से जानना चाहा कि ऊंटों को राज्य पशु क्यों घोषित किया गया है? अमीन खां ने पशुपालन मंत्री लालचंद कटारिया के जवाब से असहमत होते हुए कहा कि आपने सदन में ऊंटों की मौतों के संबंध जो जानकारियां दी हैं वो सरकारी रेकॉर्ड और बीमित ऊंटों के आधार पर हैं। जबकि वास्तविक स्थिति ये है कि प्रदेश में मरने वाले ऊंटों की संख्या इससे कहीं ज़्यादा है।
इधर, चर्चा के बीच विधानसभा अध्यक्ष डॉ सीपी जोशी ने भी हस्तक्षेप किया। उन्होंने पशुपालन मंत्री से सवाल किया कि सदन को बताएं कि सरकार ने ऊंटों को राज्य पशु क्यों घोषित किया है और इसके अन्य पशुओं की तुलना में क्या फायदे हैं?
विधानसभा अध्यक्ष के जवाब में मंत्री कटारिया ने हैरान कर देने वाला जवाब दिया। ऊंटों को राज्य पशु के तौर पर मिलने वाले फायदे गिनाने के बजाये उन्होंने सदन में दो टूक ये कह दिया कि उन्हें इस बारे में कोई जानकारी। हालांकि उन्होंने सदन को ये ज़रूर आश्वस्त करवाया कि प्रदेश में ऊंटों की वर्त्तमान स्थितियां चिंताजनक हैं और इनके संरक्षण की आवश्यकता महसूस की जा रही है। मंत्री ने कहा कि ऊंटों के संरक्षण के लिए वर्ष 2015 के बनाये अधिनियम में विधानसभा के अगले सत्र में सरकार संशोधन लेकर आएगी।
Published on:
17 Sept 2021 12:09 pm
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