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विधायक घूस प्रकरण: शब्दों का खेल… कहीं केस हो न जाए फेल; BAP MLA की गिरफ्तारी के 54 घंटे बाद दर्ज हुई रिपोर्ट

BAP MLA Bribery Case: भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) में शब्दों का ही बड़ा खेल है। यह हम नहीं कानून के विशेषज्ञ कहते हैं।

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BAP MLA Jai Krishna Patel

BAP MLA Jai Krishna Patel

मुकेश शर्मा
जयपुर। भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) में शब्दों का ही बड़ा खेल है। यह हम नहीं कानून के विशेषज्ञ कहते हैं। शब्दों के खेल में ही बड़े-बड़े रसूखदार ट्रैप के मामलों में बरी हो जाते हैं और कई रसूख के मामलों में एसीबी खुद एफआर लगा देती है।

ऐसे कई मामले हैं, जिनमें एसीबी ने एफआर लगा दी और कई बरी हो गए, लेकिन एसीबी ने इन सभी मामलों को गोपनीय रखा है। ये हालात अभी के नहीं, पहले भी ऐसे मामले सामने आ चुके हैं। ताजा उदाहरण भारतीय आदिवासी पार्टी के विधायक जय कृष्ण पटेल की गिरफ्तारी में देखने को मिला।

एसीबी ने विधायक को 2 करोड़ रुपए रिश्वत मांगने और 20 लाख रुपए पहली किस्त लेते गिरफ्तार किया। 4 मई की सुबह करीब साढ़े दस बजे विधायक पटेल को ज्योति नगर विधायक आवास पर 20 लाख की रिश्वत लेते घेरा। फिर एसीबी दोपहर करीब पौने तीन बजे विधायक आवास से विधायक पटेल को ले गई।

इसके बाद शाम साढ़े पांच बजे एसीबी डीजी डॉ. रविप्रकाश मेहरड़ा ने अन्य अधिकारियों की उपस्थिति में प्रेसवार्ता की, जिसमें बताया कि विधायक पटेल ने विधानसभा में पीड़ित की खान के संबंध में प्रश्न लगाया और फिर विधायक ने ही पीड़ित से रिश्वत के लिए संपर्क किया। आखिर 54 घंटे बाद दर्ज एफआइआर में ये शब्द बदल गए।

प्रेसवार्ता में ये बताया

एसीबी के डीजी मेहरड़ा ने 4 मई को प्रेसवार्ता में बताया कि रिश्वत मांगने के मामले में विधायक ने पहले फोन किया। तब पीड़ित को पता चला कि क्या मसला है। फिर पीड़ित ने एप्रोच किया और पूछा कि क्या करना है। पीड़ित एसीबी के संपर्क में आया, तब हमने बताया कि क्या करना है।

रिपोर्ट में ये लिखा

एसीबी ने विधायक की गिरफ्तारी की रिपोर्ट 6 मई रात 11.54 बजे दर्ज की। इसमें पीड़ित ने बताया कि खनिज विभाग के अधिकारियों ने विधानसभा में विधायक की ओर से प्रश्न लगाने के संबंध में बताया। अधिकारियों ने कहा कि विधायक को आपसे क्या परेशानी है, पता करो। पीड़ित के भाई ने विधायक से 3 व 4 फरवरी को फोन पर बात की, तब विधायक ने 5 फरवरी की रात 9.15 बजे एमएलए क्वार्टर ज्योति नगर मिलने बुलाया। विधायक से मिले तो उन्होंने प्रश्न नहीं लगाने का आश्वासन दिया, लेकिन बाद में खनिज विभाग के अधिकारियों से पता चला कि विधायक ने फिर प्रश्न लगाया है। तब विधायक से फोन पर संपर्क किया। विधायक बोले, आप मुझ से आकर क्यों नहीं मिले। आकर मिलो। 22 मार्च को विधायक से मिला तो उन्होंने प्रश्न हटाने के बदले 2.5 करोड़ मांगे। हालांकि बाद में सौदा 2 करोड़ में तय किया।

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हमारे पास सबूत हैं

किसने पहले संपर्क किया। यह कोई बड़ा मामला नहीं है। चार्जशीट पेश करने के लिए हमारे पास रिकॉर्डिंग है, सबूत हैं।
-डॉ. रवि प्रकाश मेहरड़ा, डीजी, एसीबी

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संदेह का मिलता है लाभ

डीजी का प्रेसवार्ता में कहना कि विधायक ने रिश्वत के लिए पहले संपर्क किया, इसका वीडियो है और एफआइआर में पीड़ित की ओर से विधायक से संपर्क किया जाना बताया गया है। ऐसे में विरोधाभास होने पर आरोपी पक्ष इसका लाभ ले सकता है और बरी तक हो सकता है। संदेह का लाभ हमेशा आरोपी को मिलता है।
-दीपक चौहान, अधिवक्ता, हाईकोर्ट


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