
जयपुर . रणथंभौर से तीन बाघों को कोटा के मुकुंदरा टाइगर रिजर्व में छोडऩे के लिए नेशनल टाइगर कन्जरवेशन अथॉरिटी ने सहमति दे दी है। हालांकि अभी केन्द्र सरकार की मंजूरी आने का इंतजार है। वन विभाग इन बाघों को दिसम्बर तक मुकुंदरा में छोडऩे की योजना बना रहा है। मुकुंदरा में बाघों को खुले में छोडऩे से पहले कुछ माह तक स्टील से बनी गुफा जैसी संरचनाओं में रहना होगा।
रणथंभौर में बाघों की संख्या बढ़ रही है। इसके साथ वहां बाघों के बीच टैरिटरी को लेकर संघर्ष होने लगे हैं। करीब नौ बाघ अपनी टैरीटरी खो चुके हैं। इसे देखते हुए सरकार तीन बाघों को समीप के कोटा जिले में स्थित मुकुंदरा टाइगर रिजर्व में शिफ्ट करना चाहती है। एनटीसीए से सहमति मिलने के बाद सरकार ने मुकुंदरा में बाघों के लिए अधिक से अधिक प्रेबेस (भोजन) का इंतजाम करना शुरू कर दिया है। हाल ही जोधपुर से भी हरिण मुकुंदरा में छोड़े गए हैं। यहां बाघों को रखने के लिए सरकार तीन अलग-अलग स्थानों पर स्टील की कृत्रिम गुफा जैसी संरचनाएं बनवा रही है। रणथंभौर से बाघों को यहां लाने के बाद कुछ माह इन्हीं में रखा जाएगा। इससे बाघ स्थानीय माहौल में ढल सकेंगे। इसके बाद उन्हें खुले में घूमने की आजादी दी जाएगी।
चुनौती भी कम नहीं
मुकुंदरा में बाघ शिफ्ट तो किए जा रहे हैं लेकिन सरकार के लिए १४ गांवों के विस्थापन से जुड़ा मामला अब भी चुनौती बना हुआ है। वन विभाग रिजर्व क्षेत्र के 14 गांवों का विस्थापन कोटा स्थित लखावा में करीब सौ हैक्टेयर वन भूमि पर करना चाहती है। इसके लिए विभाग ने वन भूमि के रूपांतरण के प्रस्ताव केन्द्र सरकार को भेज रखे हैं।
टैरिटरी छोडऩे वाले बाघ ही करते हैं शिफ्ट
चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन जीवी रेड्डी ने बताया कि रणथंभौर में ऐसे नौ बाघों की पहचान हुई है जो अपनी टैरिटरी छोड़ चुके हैं। इनमें से तीन बाघों को मुकुंदरा भेजने पर एनटीसीए ने सहमति दी है। अभी इसकी केन्द्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय से स्वीकृति आनी बाकी है।
Published on:
24 Sept 2017 10:02 pm
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