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Jaipur House Collapse: यह महज एक हादसा नहीं, बल्कि सिस्टम की लापरवाही से हुई मौत, सवाल ये कि…कब जागेगा जिम्मेदार तंत्र?

Rajasthan News: रीना ने रोते हुए कहा—“मां हमें नीम के पेड़ के नीचे खड़ा कर गई… बोली दादी को लेकर आती हूं। तभी दीवार गिर गई और मां-दादी मलबे में दब गईं।”

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फोटो: पत्रिका

Jaipur Subhash Chowk News: जयपुर के सुभाष चौक स्थित झिलाई हाउस गुरुवार सुबह चीखों और मलबे में तब्दील हो गया। जर्जर मकान भरभराकर ढहा और उसमें दबकर 65 वर्षीय धन्नी बाई की मौत हो गई। उनकी बहू सुनीता महावर (35) गंभीर रूप से घायल हो गईं, जिनका एसएमएस अस्पताल में इलाज चल रहा है। गनीमत रही कि सुनीता के दोनों बच्चे हादसे से पहले बाहर निकाल दिए गए और उनकी जान बच गई।

सुबह करीब 6.50 बजे मकान से चूना गिरने और दीवारों में दरार आने लगी। खतरा भांपकर सुनीता ने बेटी रीना (10) और बेटे प्रिंस (8) को बाहर नीम के पेड़ के नीचे खड़ा कर दिया। लेकिन बीमार सास को निकालने के लिए वह दोबारा घर में घुस गई। तभी पूरी दीवार भरभराकर गिरी और सास मलबे में दब गईं।

बहू ने उन्हें बचाने की कोशिश में खुद को उन पर ढाल बना दिया। दोनों मलबे में दब गईं। गेट अंदर से बंद था। बच्चों की रोती आवाज सुनकर पड़ोसी गेट फांदकर पहुंचे। उन्होंने पुलिस को सूचना दी। स्थानीय लोगों की मदद से सास-बहू को बाहर निकाला गया और अस्पताल भेजा गया। लेकिन तब तक धन्नी बाई ने दम तोड़ दिया।

बच्ची की मासूम जुबानी

रीना ने रोते हुए कहा—“मां हमें नीम के पेड़ के नीचे खड़ा कर गई… बोली दादी को लेकर आती हूं। तभी दीवार गिर गई और मां-दादी मलबे में दब गईं।”

किराए के मकान में रह रहा था परिवार

भवन चौड़ा रास्ता निवासी प्रदीप शाह का है। धन्नी बाई अपने बेटे प्रदीप महावर, बहू सुनीता और बच्चों के साथ यहां कई दशक से किराए से रह रही थीं। प्रदीप महावर की पांच वर्ष पहले बीमारी से मौत हो गई थी। बड़ा बेटा दीपक महावर ने मुर्दाघर के बाहर कहा…मां बीमार थी, बाहर नहीं निकल सकी। निगम ने नोटिस दिया था, मकान मालिक को जानकारी भी थी, लेकिन उसने सुध नहीं ली।

निगम की लापरवाही पर उठे सवाल

नगर निगम ने स्वीकार किया कि यह मकान जर्जर सूची में दर्ज था। सवाल यह है कि जब निगम को पता था कि भवन खतरनाक है, तो परिवार को सुरक्षित स्थान पर क्यों नहीं शिफ्ट कराया गया? यह हादसा ठीक 12 दिन बाद हुआ, जब सुभाष चौक की एक हवेली गिरने से पिता-पुत्री की मौत हो गई थी। तब भी निगम ने यही कहा था कि भवन जर्जर सूची में था।