
बाड़मेर। खून जमा देने वाली ठण्ड में परिजनों के आंखों का पानी इस कदर मर गया कि नवजात मासूम को तड़के करीब सुबह 4.40 बजे राजकीय अस्पताल के पालना गृह में छोड़ दिया। बच्चा रोया और पालने की घंटी बजी तो अस्पताल के स्टाफ पहुंचा। तुरंत सार संभाल कर उपचार प्रारंभ किया है। बीस दिन में यह पालाने में आना वाला तीसरा नवजात है। तीनों ही लड़के हैं।
राजकीय अस्पताल में नर्सिंग स्टाफ ड्यूटी पर था। अचानक पालना गृह का सायरन बजा। स्टाफ ने देखा तो पालने में एक नवजात रो रहा था। तुरंत शिशुरोग विशेषज्ञ डॉ. हरीश चौहान को बुलाया गया। उन्होंने बच्चे की प्रारंभिक जांच की। बच्चा स्वस्थ व सामान्य सामान्य था। उपचार प्रारंभ करते हुए विशेष देखरेख में रखा गया है।
बीस दिन में तीसरा नवजात
22 नवंबर : सुबह 4.15 बजे नवजात को पालने में छोड़ा था। बच्चे का वजन दो किलो था और अब सामान्य है। यह राजकीय अस्पताल में चिकित्सकों की देखरेख में है।
24 नवंबर : सुबह 5 बजे बाद एक नवजात को पालने में छोड़कर परिजन चले गए वजन कम होने से नवजात को जोधपुर रैफर किया गया है। जहां उसका उपचार चल रहा है।
अब तीन बच्चे बाड़मेर में
चार में से एक बच्चा जोधपुर रैफर किया गया है। यह पहली बार हुआ है कि पालनागृह में आए हुए तीन बच्चे एक साथ बाड़मेर में है। पिछले बीस दिनों में तीन बच्चे यहां आ चुके है।
भ्रूणहत्या और बच्चों को छोडऩे की घटनाएं बढ़ी
पिछले दस साल के आंकड़ों से ज्यादा इस साल के आंकड़े रहे हैं। साल 2017 में अब तक ग्यारह बच्चे पालनागृह में आए हैं। चिकित्सकों का कहना है कि पहले यह घटनाएं इक्का दुक्का ही होती थी लेकिन इस साल तो ज्यादा बढ़ी है। बीस दिन में तीसरी घटना दर्शाती है कि यह आंकड़ा लगातार बढ़ रहा है। पुलिस भी इस मामले में कुछ नहीं कर पायी है।
Published on:
10 Dec 2017 07:27 pm
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