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न्यू सांगानेर रोड़: जेडीए की निर्माण ध्वस्त करने की कार्रवाई पर हाईकोर्ट ने लगाई रोक

हाईकोर्ट ने जयपुर में मानसरोवर मेट्रो स्टेशन से सांगानेर फ्लाईओवर के बीच न्यू सांगानेर रोड़ क्षेत्र स्थित याचिकाकर्ताओं के निर्माण को तोड़ने पर रोक लगा दी।

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Rajasthan High Court

जयपुर। अतिक्रमण के नाम पर तोड़फोड़ के मामले में हाईकोर्ट ने मौके पर बसे परिवारों को राहत दी है। हाईकोर्ट ने जयपुर में मानसरोवर मेट्रो स्टेशन से सांगानेर फ्लाईओवर के बीच न्यू सांगानेर रोड़ क्षेत्र स्थित याचिकाकर्ताओं के निर्माण को तोड़ने पर रोक लगा दी। साथ ही, इस मामले में जयपुर विकास प्राधिकरण (जेडीए) सचिव, प्रवर्तन अधिकारी, पृथ्वीराज नगर( दक्षिण-प्रथम) के उप आयुक्त को नए सिरे से नोटिस जारी करने का आदेश दिया। अब इस मामले पर पांच जुलाई को सुनवाई होगी।

न्यायाधीश अशोक कुमार जैन की अवकाशकालीन पीठ ने बुधवार को यह आदेश सीताराम शर्मा व अन्य की 10 याचिकाओं पर यह आदेश दिया। कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ताओं का निर्माण अतिक्रमण है या नहीं, इसका परीक्षण नहीं हुआ। इसके अलावा जेडीए याचिकाकर्ताओं के संबंध में कोर्ट में रिकॉर्ड भी पेश नहीं कर पाया।

हाईकोर्ट की खंडपीठ ने सीधे तौर पर याचिकाकर्ताओं का निर्माण तोड़ने का आदेश नहीं दिया, केवल अतिक्रमण चिह्नित कर उसे हटाने को कहा। ग्रीष्मावकाश के दौरान जेडीए की कार्रवाई का मुद्दा उठने पर कोर्ट ने कहा कि अवकाशकालीन एकलपीठ को ऐसे मामले में सुनवाई का सीमित अधिकार है, लेकिन उसके पास पीड़ितों की समस्या का समाधान करने का हक है।

याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता पल्लवी मेहता, एमएस राघव, विश्वास सैनी, निखिलेश कटारा व विष्णु कुमार शर्मा ने कोर्ट को बताया कि हाईकोर्ट ने 30 जुलाई 2021 को एक जनहित याचिका पर मानसरोवर मेट्रो स्टेशन से सांगानेर फ्लाईओवर तक अतिक्रमण हटाकर न्यू सांगानेर रोड़ की चौडाई बढाने का आदेश दिया। इसकी पालना में जेडीए अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई कर रहा है, जिसके लिए जेडीए ने याचिकाकर्ताओं को 19 जून 2024 को नोटिस दिया।

याचिकाकर्ताओं ने इसे चुनौती देते हुए कहा कि केवल अतिक्रमण पर ही नोटिस दिया जा सकता है, जबकि याचिकाकर्ता निजी खातेदार हैं। पृथ्वीराज नगर क्षेत्र में कृषि भूमि को अवाप्ति के लिए अवार्ड जारी हो गया, लेकिन कब्जा नहीं लिया। 2013 के भू अवाप्ति अधिनियम के अंतर्गत अवाप्ति अवैध है और भूमि को 2002 में अवाप्ति से मुक्त भी कर दिया। कई याचिकाकर्ताओं के पास सोसायटी पट्टे हैं, ऐसे में जेडीए नोटिस जारी नहीं कर सकता।

हाईकोर्ट की खंडपीठ ने अतिक्रमण हटाने का आदेश दिया, जबकि विवादित भूमि अतिक्रमण के दायरे में नहीं आती। ऐसे में निर्माण को नहीं तोडा जाए। सरकारी पक्ष की ओर से अधिवक्ता अनुरूप सिंघी, नितीश बागड़ी व श्रेतिमा बांगड़ी ने कहा कि जमीन अवाप्तशुदा है, ऐसे में 1976 के भू हस्तांतरण संबंधी कानून के अंतर्गत जमीन जेडीए की है। हाईकोर्ट अतिक्रमण हटाने का आदेश दे चुका और आदेश की पालना नहीं होने पर दोषियों पर कार्रवाई की चेतावनी भी दी है।