
जयपुर। नींदड़ आवासीय योजना को लेकर किसानों और प्रशासन में गतिरोध फिर बढ़ गया। किसानों ने शनिवार से अन्न त्यागना शुरू कर दिया। इसके पहले दिन 22 किसान और 11 महिलाओं ने अन्न त्यागकर जमीन समाधि सत्याग्रह में भाग लिया। इनमें से एक किसान की तबीयत बिगड़ गई, जिसे ग्रामीणों ने संभाला। इस बीच प्रशासन ने वार्ता के लिए बुलाया लेकिन किसानों ने मना कर दिया।
जेडीए उपायुक्त ने वार्ता के लिए किसानों को शाम साढ़े चार बजे बुलाया। इस दौरान एसडीएम, एडीएम के मौजूद रहने की ही जानकारी दी और बताया कि पुन: सभी बिन्दुओं पर चर्चा होगी। इसका संघर्ष समिति ने विरोध किया और वार्ता के लिए नहीं गए।
किसानों का पक्ष
संघर्ष समिति संयोजक नगेन्द्र सिंह शेखावत ने दावा किया कि जेडीसी के साथ दो दिन पहले हुई वार्ता में सर्वे के बिंदुओं पर सहमति बन चुकी थी। अब समन्वय समिति के गठन पर ही चर्चा होनी थी, उपायुक्त पुन: इन बिंदुओं पर चर्चा की बात कहते रहे। इसलिए वार्ता के लिए नहीं गए।
जेडीए का तर्क
जेडीए ने भी साफ कर दिया है कि एक-दो बिंदुओं पर जिला प्रशासन के स्तर पर चर्चा होनी थी। नियमों के मद्देनजर ही फैसला हो सकता है। समिति पदाधिकारियों को इस बारे में बता दिया था।
इधर किसानों का समर्थन
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सचिन पायलट ने सरकार को किसान विरोधी बताते हुए कहा, किसान जमीन बचाने के लिए लड़ रहे हैं लेकिन सरकार ध्यान नहीं दे रही। किसान चाहते हैं कि सरकार पुन: सर्वे कराए। अवाप्ति होने की स्थिति में भूमि अधिग्रहण कानून के हिसाब से उचित पुनर्भरण किया जाए। सभी लोगों को उचित जगह जमीन दी जाए। अखिल भारतीय किसान सभा के प्रदेश अध्यक्ष पेमाराम ने भी किसानों का समर्थन किया है।
-जिन सर्वे बिंदुओं पर जेडीए के स्तर पर निर्णय सम्भव नहीं है, उनके लिए एसडीएम, एडीएम को बुलाया गया लेकिन संघर्ष समिति सभी मांग बिंदुओं और सर्वे के लिए कहती रही। जब बैठेंगे ही नहीं तो समाधान कैसे निकेलगा? वार्ता के लिए जेडीए के दरवाजे खुले हैं। रविवार को फिर प्रयास करेंगे।
राजकुमार सिंह, उपायुक्त, जेडीए
Published on:
08 Oct 2017 01:26 pm
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