27 दिसंबर 2025,

शनिवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

नगर परिषद उप सभापति के खिलाफ ‘अविश्वास’, सहमति बनाने जुटे पार्षद

पार्षदों के गुट ने 16 मार्च को पेश किया था अविश्वास प्रस्ताव, 35 पार्षदों के समर्थन का दावा

2 min read
Google source verification
No confidence motion

जयपुर

दौसा में नगर परिषद के उप सभापति के भाग्य का फैसला करने के लिए कांग्रेस—भाजपा सहित सभी दलों के पार्षद जुटे हैं। दरअसल, उप सभापाति के खिलाफ विगत 16 मार्च को ही अविश्वास प्रस्ताव पेश किया गया था। हालांकि अभी तक यह प्रस्ताव पारित नहीं हुआ था लेकिन अब कांग्रेस व भाजपा सहित अन्य दलों के पार्षद लामबंद होते नजर आ रही है। अविश्वास प्रस्ताव पारित कराने पर सहमति बनने के लिए बुधवार को नगर परिषद सभागार में बैठक हो रही है, जिसमें दौसा नगर परिषद के उप सभापति के भाग्य का फैसाल होगा। अगर सहमति बनती है तो फिर मतदान कराया जा सकता है। बैठक की तैयारियां पहले ही पूरी कर ली गई थीं। जब से उप सभापति के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश किया गया है तब से स्थानीय राजनीतिक में गहमा-गहमी भी बनी हुई है। दूसरी तरफ अविश्वास प्रस्ताव पेश होने के बाद से ही उप सभापति भी कांग्रेस व भाजपा के नेताओं पर आरोप लगा रहे हैं।


16 मार्च को पेश किया गया था अविश्वास प्रस्ताव

जानकारी के अनुसार कांग्रेस से निर्वाचित उप सभापति वीरेन्द्र शर्मा के खिलाफ सभी दलों के पार्षदों के गुट ने 16 मार्च को अविश्वास प्रस्ताव पेश किया था। दौसा जिला कलक्टर नरेश कुमार शर्मा को 33 पार्षदों के हस्ताक्षर युक्त अविश्वास प्रस्ताव पत्र सौंपा था। इसके बाद कलक्टर ने पार्षदों की परेड कराई तो 31 मौजूद निकले। पार्षदों ने बताया कि 2 पार्षद निजी कार्य में व्यस्त होने के कारण नहीं आ सके।

प्रस्ताव पारित होने के लिए 30 पार्षद होने जरूरी

अविश्वास प्रस्ताव के पक्ष में करीब 35 पार्षदों का समर्थन होने का दावा किया जा रहा है। हालांकि प्रस्ताव पारित कराने के लिए 30 पार्षद ही जरूरी हैं लेकिन यह तो मतदान के बाद ही पता चल पाएगा कि कितने पार्षद इसके समर्थन में है।

इसलिए लगाया गया है कि प्रस्ताव

प्रस्ताव में पार्षदों ने लिखा था कि उप सभापति वीरेन्द्र शर्मा के कार्यों व अनियमितताओं के विरुद्ध अविश्वास प्रकट करते हैं। साथ ही उन्होंने शीघ्र बोर्ड की बैठक बुलाकर उप सभापति के खिलाफ मतदान कराने की मांग की थी।

उप सभापति ने कांग्रेस-भाजपा नेताओं पर लगाए आरोप

अविश्वास प्रस्ताव पेश होने के बाद उप सभापति ने स्थानीय राजनीति में कई विस्फोट किए। कांग्रेस से निर्वाचित वीरेन्द्र शर्मा ने कांग्रेस के साथ भाजपा के नेताओं पर भी खूब आरोप लगाए। साथ ही कांग्रेस छोडऩे का ऐलान करते हुए विधानसभा चुनाव में उतरने की घोषणा भी कर दी।