
जिले की वन्य जीव गणना में इस साल भी पैंथर दिखाई नहीं दिए हैं। जबकि जिले के ब्यावर सहित आस-पास के ग्रामीण क्षेत्र में कई सालों से पैंथर के शिकार की घटनाओं से दहशत पसरी हुई है। वन विभाग की ओर से 4 व 5 मई को बुद्ध पूर्णिमा के मौके पर वाटर हॉल पद्धति से चौबीस घंटे हुई गणना में जिले की 6 वन रेंजों में किसी भी क्षेत्र में एक भी पैंथर दिखाई नहीं दिया है।
गोडावण की संख्या भी शून्य पर रही है। जबकि हिंसक जीवों में दो जरख दिखाई दिए हैं। जिले में रोजड़ों/नील गायों की संख्या 3175 दिखाई दी है। गौरतलब है कि वर्ष 2014 की वन्य जीव गणना में भी जिले में एक भी पैंथर नजर नहीं आया था।
पेट भरे तो लगे प्यास
वन्य जीव विशेषज्ञों का मानना है कि अजमेर जिले के वन क्षेत्र में पैंथरों के हमले व शिकार की घटनाएं ही बता रही है कि जिले में काफी संख्या में पैंथर हैं। लेकिन गर्मी में पैंथर वाटर हॉल पर इसलिए दिखाई नहीं दे रहे हैं क्योंकि उन्हें अपने भोजन वाले वन्य जीव ही नहीं मिल रहे हैं।
वन्य जीव गणना में पैंथर के भोजन वाले जीव यानी चीतल, सांभर, काला हिरण, चिंकारा आदि की संख्या भी शून्य सामने आई हैं। इससे जाहिर है कि वन क्षेत्रों में ऐसे जीव ही नहीं है, इसलिए भूखे पेट पैंथर वाटर हॉल पर यदा-कदा ही पानी पीने आते हैं। यही वजह रही कि जब वन्य जीव गणना हुई तब पैंथर वाटर हॉल पर नजर नहीं आए।
इनके बढ़ रहे कुनबे
वन्य जीव गणना में कुछ वन्य जीवों की प्रजातियों के बच्चे व मादा की संख्या अधिक भी पाई गई। इनमें नर मोर की तुलना में मादा मोर अधिक पाए गए हैं। नर मोर 802 और मादा मोर 1151 और 149 बच्चे पाए गए। इसी प्रकार नील गायों में नर 494 और मादा 1041 मिले है। इनमें 240 बच्चे और 1400 अज्ञात पाए गए हैं। कइयों जीवों के बच्चों की संख्या से अनुमान लग रहा है कि वन क्षेत्रों में वन्य जीवों की तादाद बढ़ रही है।
प्रमुख वन्य जीवों के आंकड़े: एक नजर
सियार-गीदड़- 308
जंगली बिल्ली-41
खरगोश-886
नीलगाय/रोजड़े- 3175
सेही-72
भेडिय़ा- 23
मोर- 4057
नेवला-541
तीतर-1449
बंदर-194
उल्लू-95
कछुआ-3
बटेर-119
कबूतर-40
तोता-1
जो दिखाई ही नहीं दिए
बाघ, बघेरा, मरू बिल्ली, मछुआरा बिल्ली, मरू लोमड़ी, भालू, बिज्जू बड़ा, कवर बिज्जू, चीतल, सांभर, काला हिरण, चिंकारा, चोसिंगा, उडऩ गिलहरी, गोडावण, सारस, गिद्ध, राजगिद्ध, घडिय़ाल, मगरमच्छ, सांडा आदि।
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