इंजेक्शन लगाने के बाद डॉक्टर प्रियांशु माथुर ने बताया कि अब बच्चे को ऑब्जर्वेशन में रखा गया है। संभवतया आज बच्चे को डिस्चार्ज किया जाएगा। इसके बाद दो महीने तक बच्चे के दवाईयां चलेगी। फिर बच्चा आम लोगों की तरह जीवन यापन कर सकेगा।
बच्चे के परिजनों ने सभी का सहयोग करने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद दिया। पत्रिका की ओर से अर्जुन को बचाने के लिए मुहिम चलाई गई थी। इसके बाद लोग क्राउड फंडिंग के लिए आगे आए, जिससे अर्जुन का इलाज संभव हुआ। अर्जुन की मदद के लिए आमजन के साथ शिक्षा विभाग भी आगे आया है।
बता दें कि इंजेक्शन बनाने वाली अमेरिकी कंपनी ने भी अर्जुन के इलाज में काफी मदद की है। उन्होंने इंजेक्शन की 17.5 करोड़ रुपए की राशि में छूट दी है। अब तक क्राउड फंडिंग से जमा हुए करीब साढ़े आठ करोड़ रुपए से इंजेक्शन की पहली किश्त जमा करा दी है।
पत्रिका की ओर से इस मामले में अर्जुन की मदद करने को लेकर अपील की गई थी। जिसके बाद शिक्षा विभाग आगे आया। अर्जुन की मां पूनम जांगिड़ शिक्षा विभाग में लैब असिस्टेंट के पद पर कार्यरत हैं। ऐसे में शिक्षा मंत्री मदन दिलावर, निदेशक माध्यमिक शिक्षा आशीष मोदी, सचिव कृष्ण कुणाल समेत विभाग के तमाम अधिकारियों-कर्मचारियों और उनके परिजनों ने आर्थिक सहयोग देकर मदद की। निदेशक की ओर से विभाग के सभी अधिकारियों-कर्मचारियों को पत्र लिखकर आर्थिक सहयोग करने का आग्रह किया था।