इस ताज़ा बढ़ोतरी के साथ राजधानी दिल्ली में सोमवार को पेट्रोल की कीमत 15 पैसे प्रति लीटर बढ़कर 82.06 रूपए प्रति लीटर हो गई जबकि डीजल की कीमत 6 पैसे प्रति लीटर के उछाल के साथ 73.78 रूपए प्रति लीटर हो गई है। इसी तरह से मुंबई में पेट्रोल की कीमत 15 पैसे प्रति लीटर बढ़कर 89.44 रुपए प्रति लीटर और डीजल की कीमत 7 पैसे प्रति लीटर की बढ़ोतरी के साथ 78.33 रुपए प्रति लीटर हो गई है।
जानकारी के अनुसार राजस्थान में पेट्रोल के दाम 82 रूपए 53 पैसे हो गए हैं। वहीं डीज़ल के दाम यहां 76.08 रूपए के भाव से मिल रहा है।
… इधर, राजस्थान की तर्ज़ पर एमपी-छत्तीसगढ़ भी दे सकते हैं वैट पर छूट!
पेट्रोल और डीजल की लगातार बढ़ रही कीमतों को लेकर भाजपा शासित राज्यों पर केंद्रीय नेतृत्व ने दबाव डाला है। पार्टी की ओर से राज्यों को निर्देश दिया गया है कि लगातार बढ़ रही कीमतों को ध्यान में रखते हुए वैट कम करें। गौरतलब है कि राजस्थान सरकार ने पहले वैट कम कर दिया है।
हालांकि कुछ राज्य यह कहकर मामले को टाल रहे हैं कि कांग्रेस सहित विपक्ष ने महंगाई का मुद्दा उठाया है तो कहीं जनता के बीच यह संदेश न जाए कि दबाव की वजह से यह फैसला लिया गया है। इन तर्कों को नजरअंदाज करते हुए भाजपा अध्यक्ष ने कहा है कि वैट कम करने का अधिकार राज्यों के पास है। इसलिए राज्य सुनिश्चित करें कि जनता के हित में क्या करना है।
सूत्रों के मुताबिक शाह के निर्देश के बाद महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, गुजरात आदि राज्यों ने वैट को कम करने के लिए सहमति जताई है। लेकिन इसके लिए अभी कुछ समय मांगा है।
मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ में फैसला जल्द
राजस्थान सरकार की ओर से पेट्रोल और डीजल पर वैट कम करने के बाद मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ सरकार की ओर से जल्द ही फैसला किया जाएगा। इस साल के अंत में इन तीनों राज्यों में विधानसभा चुनाव हैं। इन राज्यों में जल्द ही आचार संहिता भी लागू हो सकती है।
जनता को मिल सकती है कुछ और सौगात राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में चुनाव को देखते हुए पेट्रोल, डीजल पर वैट कम करने के अलावा कई केंद्रीय योजनाओं की सौगात मिल सकती है। सूत्रों के मुताबिक पार्टी अध्यक्ष की ओर से केंद्रीय सड़क, परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी, ग्रामीण विकास मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, कृषि मंत्री राधामोहन सिंह और कौशल विकास मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान को निर्देश दिया गया है कि इन राज्यों में आचार संहिता लगने से पूर्व कुछ योजनाओं की शुरूआत हो। इसके बाद सभी मंत्रालय योजनाओं की सूची तैयार करने में जुट गए हैं।