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मिशन 2023: विधायकों के बाद अब हारे हुए प्रत्याशियों से होगा वन टू वन संवाद, जानेंगे जमीनी हकीकत

-विधानसभा और लोकसभा चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी रहे नेताओं से लिया जाएगा सरकार के कामकाज और जनता के मूड का जमीनी फीडबैक, प्रदेश प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा, मुख्यमंत्री गहलोत और प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा लेंगे फीडबैक, वन टू वन फीडबैक के दौरान विधानसभा और लोकसभा चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी रहे नेताओं की नाराजगी भी आ सकती है बाहर

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जयपुर। प्रदेश में इस साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनाव के मद्देनजर सरकार के कामकाज और सरकार कैसे रिपीट हो इसे लेकर हाल ही में कांग्रेस विधायकों से 3 दिन चले वन टू वन संवाद के बाद अब हारे हुए प्रत्याशियों से भी वन टू वन फीडबैक लिया जाएगा। विधानसभा चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी रहे नेताओं और लोकसभा चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी रहे नेताओं से मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, प्रदेश कांग्रेस के प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा और प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा वन टू वन संवाद करेंगे।

संवाद के दौरान जहां सरकार के कामकाज की जमीनी हकीकत का फीडबैक लिया जाएगा तो वहीं प्रदेश की जनता का कांग्रेस सरकार को लेकर क्या मूड है इसका भी फीडबैक लिया जाएगा। हालांकि अभी तक हारे हुए प्रत्याशियों के साथ वन टू वन संवाद की तारीख तय नहीं हो पाई है लेकिन माना जा रहा है कि इस सप्ताह में कभी भी वन टू वन फीडबैक के लिए विधानसभा और लोकसभा चुनाव में हारे हुए प्रत्याशियों को बुलाया जा सकता है। इसकी तैयारियां प्रदेश कांग्रेस में जोर शोर से चल रही है।

फीडबैक के दौरान हारे हुए प्रत्याशियों की नाराजगी भी आ सकती है सामने
सूत्रों की माने तो फीडबैक के दौरान विधानसभा और लोकसभा चुनाव में हारे हुए प्रत्याशियों की नाराजगी भी प्रदेश प्रभारी सुखविंदर सिंह रंधावा मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के सामने जाहिर हो सकती है।

दरअसल इसके पीछे वजह यह है कि विधानसभा और लोकसभा चुनाव में हारे प्रत्याशियों ने कई बार सत्ता और संगठन में अपनी उपेक्षा के आरोप लगाए थे, साथ ही विधानसभा चुनाव में हारे हुए प्रत्याशियों ने कई बार सार्वजनिक तौर पर निर्दलीय और बसपा से कांग्रेस में आए विधायकों को सत्ता-संगठन में ज्यादा तवज्जो दिए जाने को लेकर भी अपनी नाराजगी जाहिर की थी।

हारे हुए प्रत्याशियों ने साफ कहा था कि सत्ता और संगठन में हमसे ज्यादा पूछ निर्दलीय और बसपा से कांग्रेस में आए विधायकों की हो रही है, इससे कार्यकर्ताओं मैं भी रोष है। निकाय और पंचायत चुनाव में भी निर्दलीय और बसपा से कांग्रेस में आए विधायकों की राय से ही टिकट तय हुए थे और कांग्रेस के समर्पित कार्यकर्ताओं को दूर रखा गया था।

फीडबैक में आए सुझावों के बाद बनेगी चुनाव की रणनीति
इधर विधायकों के बाद विधानसभा और लोकसभा चुनाव में हारे प्रत्याशियों से वन टू वन संवाद के दौरान आए हुए सुझाव के बाद ही कांग्रेस विधानसभा चुनाव को लेकर अपनी रणनीति तैयार करेगी किन-किन पॉलिसी के साथ विधानसभा चुनाव में जाना है। बताया जा रहा है कि विधायकों से हुए वन टू वन फीडबैक के दौरान आए सुझावों को लेकर भी प्रदेश नेतृत्व और प्रदेश प्रभारी की ओर से सूची तैयार की गई है।

फीडबैक के पीछे नाराजगी दूर करने की भी कवायद
वहीं चर्चा यह भी है कि विधानसभा और लोकसभा चुनाव में प्रत्याशी रहे नेताओं से वन टू वन फीडबैक के पीछे एक वजह नेताओं की नाराजगी दूर करना भी है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और प्रदेश कांग्रेस के प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा की ओर से उनकी शिकायतें और गिले-शिकवे सुनने के साथ ही उन्हें आगामी विधानसभा चुनाव में एक्टिव मोड पर रहने के निर्देश भी दिए जाएंगे।

गौरतलब है कि हाल ही में गहलोत सरकार के साढ़े चार के कामकाज, योजनाएं और घोषणाओं का जमीनी स्तर पर जनता को कितना लाभ मिल रहा है, साथ ही जनता का मूड कांग्रेस पार्टी को लेकर कैसा है इन समेत 13 सवालों को लेकर हाल ही में 17, 18 और 20 अप्रेल को कांग्रेस विधायकों से पार्टी के वॉर रूम में वन टू वन संवाद किया गया था। फीडबैक में निर्दलीय और बसपा से कांग्रेस में आए विधायकों भी आमंत्रित किया गया था। फीडबैक के दौरान कई विधायकों ने जहां मंत्रियों की कार्यशैली पर सवाल खड़े किए थे तो वहीं कई विधायकों ने सरकार के कामकाज पर संतोष व्यक्त किया था।

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