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टेक्नोलॉजी का सही उपयोग ही इसे सार्थक बनाता है : आदित्य सागर मुनि

टोंक रोड स्थित जैन मंदिर में 108 आदित्य सागर मुनि महाराज (ससंघ) के सानिध्य में आध्यात्मिक श्रावक संस्कार शिविर का आयोजन किया जा रहा है।

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जयपुर। टोंक रोड स्थित जैन मंदिर में 108 आदित्य सागर मुनि महाराज (ससंघ) के सानिध्य में आध्यात्मिक श्रावक संस्कार शिविर का आयोजन किया जा रहा है। इस अवसर पर उन्होंने विभिन्न महत्वपूर्ण विषयों पर अपने विचार साझा किए। उन्होंने कहा कि टेक्नोलॉजी स्वयं बुरी नहीं है, यदि इसका सही उपयोग किया जाए तो यह अत्यंत लाभकारी हो सकती है। उदाहरण स्वरूप, सोनोग्राफी गर्भस्थ शिशु के स्वास्थ्य की जांच के लिए बनाई गई थी, लेकिन इसका दुरुपयोग लिंग परीक्षण में होने लगा।

सोशल मीडिया पर उन्होंने कहा कि हाल ही में उनका इंस्टाग्राम वीडियो बिना कारण ब्लॉक कर दिया गया। उनके अनुसार, सोशल मीडिया सभी के लिए खुला होना चाहिए और सभी को अपनी बात रखने का अधिकार होना चाहिए। भारत को विश्व गुरु बनाने के लिए अहिंसा और सत्य की राह पर चलना आवश्यक है। वर्तमान जीवन स्तर को उन्होंने ‘अधूरा सच’ बताया।

किसानों के संदर्भ में उन्होंने कहा कि यदि किसान की स्थिति कमजोर होती है, तो इसका असर पूरे समाज पर पड़ता है। बच्चों और युवाओं की मानसिकता पर भी आधुनिक तकनीक और सोशल मीडिया का गहरा प्रभाव है। इसलिए डिजिटल युग में बच्चों को सही दिशा देना जरूरी है। फोन और इंटरनेट के जरिए बच्चों को उनके क्षेत्र से जुड़ा उपयोगी ज्ञान दिया जा सकता है। डिजिटल प्लेटफॉर्म को पूरी तरह रोका नहीं जा सकता, लेकिन सही जानकारी और शिक्षा से उनकी सोच में सकारात्मक बदलाव लाया जा सकता है।

उन्होंने बताया कि संस्कार शिविर का आयोजन 23 और 24 अगस्त को होगा। पहले दिन माता-पिता का शिविर और फिर बच्चों का शिविर होगा। उनका मानना है कि जब माता-पिता संस्कारित होंगे, तो बच्चे भी संस्कारी बनेंगे। शिविर में भारतीय सभ्यता और जैन दर्शन को सुरक्षित रखने के उपाय बताए जाएंगे।

चातुर्मास के दौरान भक्तांबर महामंडल द्वारा विशेष कार्यक्रम आयोजित होते हैं। 23-24 अगस्त को दांपत्य संस्कार और बच्चों के संस्कार कार्यक्रम होंगे, जिनका उद्देश्य समाज, देश और धर्म के संस्कारों को मजबूत करना है। इसके बाद 28 अगस्त से बड़े स्तर पर श्रावक संस्कार शिविर होगा, जिसमें प्रवचन, कक्षाएं, पूजा, आरती और भक्ति के माध्यम से आध्यात्मिक जुड़ाव बढ़ाने पर जोर दिया जाएगा।

उन्होंने भादव माह के महत्व पर भी प्रकाश डाला। इस महीने में जितने व्रत होते हैं, वे पूरे साल के व्रतों के बराबर माने जाते हैं। इसमें सोला कारण भावूल, पंच मेरू, नंदीश्वर और दसलक्षण पर्व जैसे उपवास शामिल हैं, जो समाज में आध्यात्मिकता बनाए रखने में सहायक हैं।