
Palliative care essential in cancer treatment
palliative care: महात्मा गांधी अस्पताल में विश्व होस्पिक एण्ड पेलिएटिव केयर-डे सोमवार को मनाया गया। इस मौके पर आयोजित कार्यशाला में यूनिवर्सिटी के चेयरपर्सन डॉ. विकास स्वर्णकार ने कहा कि पैलिएटिव केयर विषेषज्ञों का काम रोगी के दर्द को कम करना है। साथ ही रोगी और परिजनों को काउंसिलिंग के जरिये उपचार को जारी रखने के लिए इन्हीं की ओर से प्रेरित किया जाता है, जिससे उपचार को सफलता का अंजाम दिया जा सके। वहीं कैंसर रोग विषेशज्ञ डॉ. हेमन्त मल्होत्रा ने कहा कि किसी भी डॉक्टर की पहली प्राथमिकता रोगी को दर्द से मुक्ति दिलाने की होनी चाहिए। कैंसर उपचार एक टीम वर्क के रूप में किया जाना चाहिए, जिसमें मेडिकल, रेडियेशन, सर्जन के साथ-साथ कैंसर रोग की पहचान होने के समय से ही रोगी के उपचार में पैलिएटिव केयर विषेशज्ञ को भी जोड़ा जाना चाहिए।
पैनल डिस्कशन में किए विचार साझा
डॉ. ललित मोहन शर्मा ने डॉक्टर्स के पैनल डिस्कशन के जरिये जानकारी दी कि पैलिएटिव केयर में डॉक्टर्स ही नहीं, ट्रेंड नर्सिंग एवं सपोर्ट स्टाफ की भूमिका भी महत्वपूर्ण होती है। डॉ. अजय यादव ने कहा कि सन् 2025 में कैंसर रोगियों की संख्या अनुमानित तौर पर दोगुना हो जाएगी। ऐसे में रोगियों के दर्द-प्रबंधन के लिए पैलिएटिव केयर के प्रति जागरूकता बढ़ानी होगी। पैलिएटिव केयर विषेशज्ञ डॉ. निपुण लाम्बा ने बताया कि पैलिएटिव केयर के जरिये रोगी के जीवन की अवधि को बढाया जाता है, साथ ही उसको दर्द से राहत दी जाती है। इसके अलावा परिजनों को उपचार को जारी रखने के लिए प्रेरित भी किया जाता है। कार्यक्रम में डॉ. आरसी गुप्ता, डॉ. नितिन खूंटेटा, डॉ. दिनेष यादव, डॉ. संजय शर्मा, डॉ. गौरव गोयल, डॉ. प्रशांत कुंभज, डॉ. अंकुर पूनिया, डॉ. डीपी सिंह, डॉ. शिखा ढल ने भाग लिया।
Published on:
11 Oct 2021 07:27 pm
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