विशेषज्ञों के अनुसार अभी तक के ट्रेंड के मुताबिक तीसरी लहर सितंबर-अक्टूबर माह तक आ सकती है। जिस तरह अनलॉक और उसके बाद भीड़ नजर आ रही है, उससे यह और भी जल्दी आ सकती है। सूत्रों के मुताबिक चिकित्सा विभाग भी यह मान रहा है कि दूसरी लहर के बिगडऩे का कारण मुख्यत: शादी समारोह और राजनीतिक व धार्मिक आयोजन ही रहे। अधिक मौतों का कारण भी प्रथमदृष्ट्या इसे ही माना जा रहा है।
खुद बड़े नेता जता चुके हैं चिंता
दूसरी लहर से पहले हुए चुनावों के दौरान आमजन को सरकार ने सोशल डिस्टेंसिंग और फेस मास्क सहित अन्य जरूरी एहतियात की सलाह दी। खुद पूरी सरकार और सभी राजनीतिक दलों के नेता चुनाव प्रचार में सोशल डिस्टेंसिंग की अवहेलना करते रहे। जनता में इसको लेकर किरकिरी भी हुई। यहां तक कि कांग्रेस प्रदशाध्यक्ष व शिक्षा मंत्री गोविंदसिंह डोटासरा को तो मुख्यमंत्री के साथ हुई बैठक में यहां तक कहना पड़ा था कि सरकार को इस पर संज्ञान लेना चाहिए। जनता हमसे पूछती है कि क्या चुनावों की भीड़ से कोरोना नहीं फैलता।
अनुमति 200 की, जुटे हजार से ज्यादा
पहली लहर के बाद विवाह समारोह में आमंत्रित अतिथियों की संख्या अधिकतम 200 ही रखी गई थी। लोग, सरकार और प्रशासन पहली लहर का गम जैसे भूल ही गए। अनुमति से अधिक कहीं एक हजार तो कहीं-कहीं तो 2-2 हजार लोग शादियों में शामिल हुए। उन पर न तो कोई बड़ी कार्रवाई हुई और न ही आयोजनों को रोकने के किसी प्रशासनिक अधिकारी ने प्रयास किए।
चुनाव वाले जिलों में ज्यादा संक्रमण
विधानसभा उपचुनावों के दौरान भीलवाड़ा, राजसमंद और चूरू जिलों में अधिक संक्रमण फैला। यहां तक कि भाजपा का एक प्रत्याशी भी संक्रमित हुआ जिसे जयपुर रैफर करना पड़ा। कई अन्य कार्यकर्ता और नेता भी चपेट में आ गए।
धार्मिक आयोजनों से गांवों में बढ़े संक्रमित
माना जा रहा है कि भीड़ भरे धार्मिक आयोजनों से गांवों में दूसरी लहर का संक्रमण बढ़ा। इन आयोजनों में शामिल होकर गांवों में लौटे लोग पहले खुद संक्रमित हुए फिर गांव के कई लोग चपेट में आते गए।
आने वाले दिनों में और भी कई अनुमतियां संभव
प्रदेश में तेजी से घट रहे संक्रमण के चलते जून के अंत तक सरकार और भी छूट दे सकती है। इनमें सिनेमा हॉल खोलने सहित विवाह समारोह स्थलों पर करने जैसी अनुमतियां शामिल हैं। अनुमति के बाद यह जिम्मेदारी सरकार की होगी कि वहां फिर इस तरह के भीड़ भरे आयोजन न हो, जिससे तीसरी लहर का खतरा नजदीक आ जाए।
भाजपा ने साधा निशाना
उप नेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र राठौड़ ने पंचायत चुनाव की तैयारी को लेकर कहा कि एक तरफ तो मुख्यमंत्री बंगाल के चुनावों पर केंद्र पर निशाना साधते हैं, वहीं दूसरी ओर राज्य में खुद की सरकार पर आए संकट के बादल और सियासी घमासान का समाधान पंचायत चुनावों से चाहते हैं। वह भी तब, जबकि कोरोना की दूसरी लहर अभी गई है।
चिकित्सा मंत्री ने कहा : चुनाव आयोग पूछेगा तो स्थिति के बारे में बताएंगे
चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा ने कहा कि चुनाव कराना या नहीं कराना चुनाव आयोग का काम है। अभी तक चिकित्सा विभाग से इस बारे में नहीं पूछा गया है। पहली लहर के बाद हमने देखा ही था कि चुनाव वाले जिलों में संक्रमण बढ़ा। हमसे यदि चुनाव आयोग पूछेगा तो इस कोविड संक्रमण की स्थिति के बारे में बताएंगे।