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दृष्टिबाधित कलाकारों के पास सरस्वती की ताकत, ईश्वर के नजदीक बैठने की शक्तिः कोठारी

33rd All India Music Competition for the Blind: पत्रिका समूह के प्रधान संपादक गुलाब कोठारी ने 33वीं अखिल भारतीय दृष्टिबाधित संगीत प्रतियोगिता के फाइनल और पुरस्कार वितरण समारोह में शिरकत की।

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Patrika Group Editor in Chief Gulab Kothari in Bhopal tomorrow

Patrika Group Editor in Chief Gulab Kothari in Bhopal tomorrow

Editor-in-Chief of the Patrika Group Gulab Kothari: पत्रिका समूह के प्रधान संपादक गुलाब कोठारी ने कहा कि दृष्टिबाधित कलाकारों के पास सरस्वती की ताकत होती है क्योंकि संगीत लक्ष्मी का क्षेत्र नहीं है, सरस्वती का क्षेत्र है। सरस्वती स्पंदन है। सरस्वती में ऊर्जा है। उन्होंने कहा कि लक्ष्मी में ऊर्जा नहीं है। उन्होंने कहा कि हम मंत्रों की सहायता से पदार्थ पैदा करते हैं। लेकिन इन दृष्टिबाधित कलाकारों का पूरा संगीत ही मंत्र है। हमारे पास इन जैसी शक्ति नहीं है। कोठारी ने कहा कि अगर हमें ईश्वर से जुड़ना है तो इसी ऊर्जा संगीत के साथ आना पड़ेगा।

कोठारी रविवार को मानसरोवर स्थित माहेश्वरी समाज के भवन ‘अभिनंदन’ में अनुराग संगीत संस्थान की ओर से तीन दिवसीय 33वीं अखिल भारतीय दृष्टिबाधित संगीत प्रतियोगिता के फाइनल और पुरस्कार वितरण समारोह को मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित कर रहे थे। उन्होेंने कहा कि सही अर्थ में दृष्टिबाधित कलाकार ईश्वर के नजदीक बैठने की शक्ति के साथ पैदा हुए हैं। ऐसे में हमें उनकी शक्ति बने रहना है। उनको उस नादक्रम की साधना में जोड़े रखना है ताकि आगे आने वाली पीढि़यों को सीख मिले।

आकाश और वायु इनकी ताकत

कोठारी ने कहा कि हम पंच महाभूतों से बने हैं। पंचमहाभूत क्रम से काम कर रहे हैं। हम पृथ्वी के हैं। हमारा शरीर पृथ्वी का है। अगर इन पंचमहाभूतों में एक कमजोर पड़ जाता है या उसकी गति में बाधा आ जाती है तो आगे के सभी महाभूत कमजोर पड़ जाते हैं। लेकिन दृष्टिबाधित कलाकारों के पास आकाश और वायु महाभूत की ताकत है। उन्होंने कहा कि आकाश ही संगीत की तन्मात्रा है।

ये असीम अंधकार में जीने वाले कलाकार

कोठारी ने कहा कि अंधकार में आकाश पंच महाभूत है। अंधकार और आकाश अलग नहीं हैं। उन्होंने कहा कि दृष्टिबाधित कलाकारों के पास प्रज्ञाचक्षु हैं, जो हमारे पास नहीं हैं। हम भटके हैं, हमारे पास हर वस्तु की सीमा दिखती है लेकिन अंधकार की कोेई सीमा नहीं है। हम अंधकार से डरते हैं। ये असीम अंधकार में जीने वाले कलाकार हैं। उन्होंने प्रकाश और अंधकार को विस्तार से समझाया और कहा कि प्रकाश अंधकार से निकलता है। प्रकाश की सीमा है। उसके स्रोत की सीमा है लेकिन अंधकार समाप्त नहीं हो सकता। अंधकार न उदय होता है, न ही अस्त होता है। हमें इन कलाकारों को नमन करना चाहिए। उन्होंने कहा कि कृष्ण भी काले हैं। कृष्ण को ढूंढ़ने के लिए जो ज्योति चाहिए, वह उनके पास है। मेरी इच्छा है कि ये सभी सूरदास की तरह भक्तिरस में डूबे रहें।


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