ऐन वक्त पर इसे 3 बजे तक टाल दिया गया। प्रमुख विपक्ष कांग्रेस ने आरोप लगाया कि आयोग ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दबाव में ऐसा किया ताकि राजस्थान की सभा में वह कुछ घोषणाएं कर सकें। हालांकि मुख्य चुनाव आयुक्त ओपी रावत ने ऐसे किसी दबाव से इनकार किया।
कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने चुनाव आयोग को कठघरे में करते हुए पूछा कि क्या ‘भाजपा सुपर चुनाव आयोग’ है? इससे पहले गुजरात चुनाव को हिमाचल से अलग कर दिया था ताकि प्रधानमंत्री मोदी घोषणाएं कर सकें। अब आयोग ने प्रेस वार्ता का समय बदल दिया। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि भाजपा के आइटी सेल प्रमुख ने चुनाव आयोग से पहले ही कर्नाटक में उपचुनाव की तारीख का ऐलान कर दिया था।
पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा ने भी इसे काफी दुखद और दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए कहा कि अजमेर में मोदी की जनसभा के कारण चुनाव आयोग ने पांच राज्यों में चुनाव की घोषणा का समय आगे बढ़ा दिया।
कांग्रेस महासचिव अशोक गहलोत कहा कि पहले सुनने में आ रहा था कि 5 अक्टूबर को चुनाव की घोषणा होगी। लेकिन आयोग ने 6 अक्टूबर तय किया। बाद में इसे ढाई घंटे टाल दिया गया। चुनाव आयोग प्रधानमंत्री का कितना ख्याल रखेगा?
चुनाव आयुक्त ओपी रावत ने खेद व्यक्त किया कि कुछ जरूरी तैयारियों के कारण प्रेस कांफ्रेस का समय बदलना पड़ा। इस बारे में कांग्रेस के आरोपों पर उन्होंने कोई टिप्पणी करने से मना करते हुए कहा कि तेलंगाना की मतदाता सूची में कुछ समस्या थी, जिसके कारण चुनाव घोषणा के समय को दो-तीन घंटे के लिए टालना पड़ा।
यदि दलों को लगता है कि किसी को फायदा हुआ तो वह आयोग से शिकायत कर सकता है। इससे पहले, रावत के विपरीत आयोग के अधिकारियों ने बताया था कि पत्रकारों के ठीक समय पर पहुंचने की चिंता को देखते हुए समय में परिवर्तन किया गया है।
कांग्रेस ने छत्तीसगढ़ में चुनाव एक चरण में कराने का आग्रह किया था जबकि भाजपा ने दो चरण में। दो चरणों में चुनाव का फैसला सत्ता का दुरुपयोग करने की छूट देना है।
-पीएल पूनिया, प्रभारी, छग कांग्रेस
-पीएल पूनिया, प्रभारी, छग कांग्रेस
रावत की सफाई
आंध्र में उपचुनाव न कराने पर: सांसदों का इस्तीफा 4 जून को मंजूर हुआ था। चूंकि लोकसभा का कार्यकाल समाप्त (3 जून 2019) होने में एक साल के कम बचा था, इसलिए वहां उपचुनाव नहीं कराए जाएंगे।
आंध्र में उपचुनाव न कराने पर: सांसदों का इस्तीफा 4 जून को मंजूर हुआ था। चूंकि लोकसभा का कार्यकाल समाप्त (3 जून 2019) होने में एक साल के कम बचा था, इसलिए वहां उपचुनाव नहीं कराए जाएंगे।
फर्जी वोटर आइडी मामला: हर स्तर पर इसकी जांच कर ली गई है। अब यदि कोई शिकायत मिलेगी तो एफआइआर दर्ज कराई जाएगी। मध्यप्रदेश से ऐसी कोई शिकायत नहीं मिली है। तेलंगाना न जाने पर: यह पूछे जाने पर कि तेलंगाना दौरा किए बगैर ही आयोग ने वहां चुनाव की घोषणा क्यों की, रावत ने कहा कि आयोग की एक टीम ने राज्य का दौरा किया है। संतुष्ट होने के बाद ही आयोग ने वहां चुनाव कराने का फैसला किया। उन्होंने कहा कि मतदाता सूचियों पर वहां विवाद था और इसके प्रकाशन के लिए 12 अक्टूबर की तारीख तय की गई है।