फिल्म सेंसर बोर्ड अध्यक्ष प्रसून जोशी ने कहा कि मैं इस बार जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल में भाग नहीं ले पा रहा हूं। साहित्य और कविता के प्रेमियों के साथ जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल में चर्चा और विचार विमर्श इस वर्ष न कर पाने का दुख मुझे रहेगा। पर मैं नहीं चाहता कि मेरे कारण साहित्य प्रेमियों, आयोजकों और वहां आए अन्य लेखकों को कोई भी असुविधा हो और आयोजन अपनी मूल भावना से भटक जाए।
रही बात फिल्म से जुड़े विवादों की ताे मैं फिर यह कहना चाहता हूं कि फिल्म
पद्मावत को, नियमों के अंतर्गत सुझावों को जहां तक सम्भव हो सम्मिलित करते हुए, सकारात्मक सोच के साथ, भावनाओं का सम्मान करते हुए ही प्रमाणित किया गया है। ये पूरी निष्ठा से एक संतुलित और संवेदनशील निर्णय का प्रयास है।
अब थोड़ा विश्वास भी रखना होगा। विश्वास एक दूसरे पर भी और हमारी स्वयं की बनायी प्रक्रियाओं और संस्थाओं पर भी। विवादों की जगह विचार विमर्श को लेनी होगी, ताकि भविष्य में हमें इस सीमा तक जाने की आवश्यकता न पड़े।
28 जनवरी को प्रसून जोशी का सेशन ‘मैं और वो’ अनु सिंह चौधरी के साथ रखा गया था। ये सेशन जेएलएफ के फ्रंट लॉन में होना था। निर्देशक संजय लीला भंसाली की विवादास्पद फिल्म पद्मावत को पास करने की वजह से सेंसर बोर्ड चीफ होने के नाते राजपूत संगठन करणी सेना ने प्रसून जोशी को जयपुर लिट्रेचर फेस्टिवल में शामिल न होने की धमकी दी थी। धमकी के बाद से जेएलएफ के आयोजक चिंतित थे।
ये कहा था यदि प्रसून जोशी और
जावेद अख्तर जेएलएफ में आते हैं, तो करणी सेना उनका विरोध करेगी। उन्हें काले झंडे दिखाए जाएंगे। हमारा विरोध दोनों व्यक्तियों से है, जेएलएफ से नहीं। यदि जेएलएफ के आयोजक उन्हें बुलाएंगे, तो विरोध झेलना ही पड़ेगा।
सुखदेव सिंह गोगामेड़ी, राजपूत राष्ट्रीय करणी सेना