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RPSC Paper Leak Case: बाबूलाल कटारा की बर्खास्तगी की तैयारी, सरकार ने राज्यपाल को भेजा प्रस्ताव

RPSC Paper Leak Case: राजस्थान लोक सेवा आयोग के गिरफ्तार सदस्य बाबूलाल कटारा की बर्खास्तगी की तैयारी शुरू हो गई है। राज्य सरकार ने राष्ट्रपति और राज्यपाल को प्रस्ताव भेज दिया है।

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Babulal Katara of RPSC

Babulal Katara of RPSC

जयपुर/अजमेर. RPSC के गिरफ्तार सदस्य बाबूलाल कटारा की बर्खास्तगी की तैयारी शुरू हो गई है। राज्य सरकार ने राष्ट्रपति और राज्यपाल को प्रस्ताव भेज दिया है। राष्ट्रपति मामले को सुप्रीम कोर्ट भेजेंगे, जिसके बाद राज्यपाल कटारा के निलंबन का आदेश जारी करेंगे। कटारा को राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद ही हटाया जा सकेगा वरिष्ठ अध्यापक भर्ती-2022 के पेपर लीक मामले में एसओजी ने 18 अप्रेल को बाबूलाल कटारा, आयोग के ड्राइवर गोपाल सिंह और विजय कटारा को गिरफ्तार किया था। तीनों अभी न्यायिक हिरासत में हैं।

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जेल भेजा, अगली पेशी 16 को: जयपुर एसओजी टीम ने मंगलवार को आरपीएससी के सदस्य बाबूलाल कटारा व ड्राइवर गोपाल सिंह को उदयपुर के एडीजे क्रम संख्या-1 कोर्ट में पेश किया। कोर्ट ने दोनों को जेल भेजकर अगली पेशी 16 मई तय की है।

वरिष्ठ अध्यापक भर्ती-2022 के पेपर लीक कांड मामले में गिरफ्तार राजस्थान लोक सेवा आयोग के सदस्य बाबूलाल कटारा के खिलाफ कार्रवाई की तैयारी शुरू हो गई है। उसे बर्खास्त अथवा निलंबित करने, राष्ट्रपति से मंजूरी सहित अन्य विधिक परामर्श भी लिया जा रहा है। राजभवन को सरकार से फाइल का इंतजार है।
काफी लम्बी है प्रक्रिया

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आरपीएससी अध्यक्ष अथवा सदस्यों की अनियमितताओं अथवा गम्भीर मामलों में सरकार पूरी रिपोर्ट राज्यपाल को भेजती है। राजभवन स्तर पर विधिक प्रक्रिया अपनाते हुए संबंधित सदस्य-अध्यक्ष को बर्खास्त-निलंबित करने के लिए राष्ट्रपति तक फाइल भेजनी पड़ती है। मालूम हो कि 74 साल में पहली बार आयोग का कोई सदस्य गिरफ्तार हुआ है।

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यह है कार्रवाई नियम

संविधान के अनुच्छेद 317 के तहत संघ अथवा राज्य लोक सेवा आयोग के किसी सदस्य को हटाने और निलंबित का प्रावधान निर्धारित है। इसके अनुसार अध्यक्ष अथवा सदस्य के मामले में खंड (1) के अधीन उच्चतम न्यायालय को निर्देशित किया गया है। किसी अध्यक्ष अथवा सदस्य का अपनी पदावधि में अपने पद के कर्तव्यों के बाहर सवेतन-नियोजन, दिवालिया, मानसिक-शारीरिक रूप से अक्षम होने पर कार्रवाई का प्रावधान है। यूपीएससी के स्तर पर राष्ट्रपति और राज्य आयोग की दशा में राज्यपाल संबंधित व्यक्ति को पद से तब तक के लिए निलंबित कर सकते हैं जब तक राष्ट्रपति ऐसे निर्देश पर उच्चतम न्यायालय का प्रतिवेदन मिलने पर अपना आदेश पारित नहीं कर देता है।