
राजस्थान के सीएम भजनलाल शर्मा। फोटो पत्रिका
जयपुर। राजस्थान सरकार ने प्रदेश के सरकारी और राजस्थान मेडिकल एजुकेशन सोसायटी (राजमेस) से जुड़े 30 मेडिकल कॉलेजों के 50 संबद्ध अस्पतालों में शैक्षणिक और प्रशासनिक कामकाज पृथक करने की तैयारी शुरू कर दी है। राजस्थान सरकार की मंशा है कि अपना सर्वश्रेष्ठ समय अस्पताल को दे पाने वाले चयनित डॉक्टरों में से ही फुल टाइम प्रशासक नियुक्त किया जाए।
यह प्रयोग सफल नहीं होने पर शैक्षणिक काम के लिए डॉक्टर और प्रशासनिक कामकाज के लिए प्रशासनिक अधिकारी आरएएस या आइएएस अधिकारी नियुक्त करने के विकल्प पर भी मंथन शुरू किया गया है। प्राचार्य और अधीक्षक पद पर नियुक्त डॉक्टर के लिए निजी प्रेक्टिस बंद करने का निर्णय भी इसी से जोड़कर देखा जा रहा है।
अक्टूबर माह में सवाई मानसिंह अस्पताल के ट्रोमा सेंटर के आईसीयू में आग लगने से 6 मरीजों की मौत हो गई थी। 3 अन्य मृतकों के परिजनों ने भी आग के कारण अपने मरीज की मौत का आरोप लगाया था। कुछ समय पहले एसएमएस मेडिकल कॉलेज में डॉक्टरों की मीटिंग में चिकित्सा शिक्षा सचिव अस्पतालों में प्रशासनिक अधिकारी नियुक्त करने का प्रस्ताव भी रख चुके हैं, जिस पर डॉक्टरों ने आपत्ति जताई थी।
Q. डॉक्टर निर्णय मानेंगे क्या?
A. मानना ही चाहिए। प्रशासन संभालने की इच्छा जताने वाले डॉक्टरों को पृथक इंसेंटिव देने का प्रस्ताव भी सरकार को भेजेंगे। प्रशासनिक कामकाज के लिए आइएएस और आरएएस नियुक्त करने पर तो अधिक सुधार हो सकता है।
Q. एनपीए बंद करने का विरोध?
A. सभी डॉक्टरों पर यह निर्णय लागू नहीं है। राज्य में 6 हजार मेडिकल टीचर हैं। उसमें से 100 डॉक्टर पूर्ण समर्पण के साथ प्रशासनिक कामकाज संभालने वाले तलाश कर रहे हैं।
Q. निजी प्रेक्टिस बंद करवाने से प्रशासन सुधर जाएगा?
A. मेडिकल कॉलेज अस्पतालों में इतना काम है कि 15-20 घंटे भी कम पड़ जाए। अधिकतम समय अस्पताल को ही देने पर प्रशासन स्वत: सुधरेगा।
Published on:
19 Nov 2025 09:54 am
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