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ऐसा क्या हुआ जो स्वयं सहायता समूहों द्वारा पोषाहार बांटने पर लगी रोक

स्वयं सहायता समूहों की मर्जी पर लगेगी रोक

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ऐसा क्या हुआ जो स्वयं सहायता समूहों द्वारा पोषाहार बांटने पर लगी रोक

स्वयं सहायता समूहों की मर्जी पर लगेगी रोक
—अपने तरीके से नहीं बना सकेंगे पोषाहार
—सिर्फ अन्नपूर्णा भंडार से ही खरीदनी होगी पोषाहार सामग्री
—विभाग ने दुबारा भेजा जिलाधिकारियों को रिमाइंडर
जयपुर
आंगनबाड़ी केंद्र में बनने वाला पोषाहार अब 'अन्नपूर्णा भंडार' से आने वाली खाद्य सामग्री से ही बनेगा। इतना ही नहीं कौन सी सामग्री कितनी मिलाई जाएगी यह भी पूरी तरह से ग्राम पर आधारित होगा। स्वयं सहायता समूह अपनी मर्जी से सामग्रियों को मिलाकर पोषाहार नहीं बना सकेंगे। ये निर्देश पिछले महीने विभाग ने सभी जिलाधिकारियों को जारी किए थे लेकिन अभी भी कुछ जिलों में इसकी पालना नहीं की गई है। और अपनी सामग्री से ही स्वयं सहायता समूहों द्वारा पोषाहार बनाया जा रहा है। इसे विभाग ने बेहद गंभीर लापरवाही बताया है और तत्काल एक रिमाइंडर भेजकर अन्नपूर्ण भंडार से ही सामग्री खरीदने के आदेश जारी किए है।
विभाग से प्राप्त जानकारी के अनुसार अब से सभी आंगनबाड़ी केंद्रों पर बनने वाला पोषाहार गुणवत्तायुक्त हो इसी मंशा से अन्नपूर्णा भंडार से सामग्री उपयोग की जाएगी। इस संबंध में निर्देश पहले ही दिए गए थे लेकिन पालना नहीं होने से दुबारा निर्देश जारी किए गए है। इसके साथ ही स्वयं सहायता समूहों को रोजाना बनने वाले पोषाहार, दलिया, खिचड़ी, हलवा बनाने के लिए खाद्य सामग्री की उचित मात्रा व ग्राम भी तय किए गए है। ताकि सही मात्रा व गुणवत्ता के साथ बच्चों को संतुलित आहार मिल सके।

क्या है स्वयं सहायता समूह—
प्रत्येक जिले में 5 से 10 महिलाओं के समूह बनें हुए है। ये समूह सरकार की विभिन्न योजनाओं में अपनी भूमिका निभा रहे है। चाहे योजनाओें का प्रचार हो या फिर पोषाहार बनाने और उनके वितरण की जिम्मेदारी हो। विभाग की मर्जी से कॉन्ट्रेक्ट बेस पर इन समूहों की महिला प्रतिनिधी ही पोषाहार बनाने की जिम्मेदारी निभा रही है। इस एवज में विभाग की ओर से इन्हें पोषाहार बनाने का भुगतान किया जाता है।


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