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POCSO Act में फांसी तक का प्रावधान, एक साल के भीतर हो मामले का निपटारा

Pocso Act लाने का उद्देश्य बच्चों को लैंगिक अपराध से संरक्षण देने का रहा है। इसके प्रावधानों के ( pocso act punishment in india ) अनुसार 12 साल तक की बच्ची से बलात्कार के दोषियों को मौत की सजा मिलेगी।

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कोइरौना थाना इलाके के एक गांव का मामला

जयपुर। पोक्सो एक्ट ( POCSO Act ) लाने का उद्देश्य बच्चों को लैंगिक अपराध से संरक्षण देने का रहा है। एक्ट में आमजन, पुलिस, सीडब्ल्यूसी, न्यायालय सभी की जिम्मेदारी और व्यवस्थाएं बताई गई है। प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रेन फ्रॉम सेक्सुअल ऑफेंसेस एक्ट यानि पोक्सो 2012 में बनाया गया। इसके प्रावधानों के अनुसार ( pocso act punishment in india ) 12 साल तक की बच्ची से बलात्कार के दोषियों को मौत की सजा मिलेगी। जानते हैं इस एक्ट की मुख्य बातें-

एक्ट के कुछ प्रावधान
- यदि कोई व्यक्ति किसी बच्चे के साथ उसकी सहमति या बिना सहमति के यौन कृत्य करता है तो उसको पोक्सो एक्ट के अनुसार सजा मिलती है।

- यह अधिनियम पूरे भारत में 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को यौन अपराधों के खिलाफ संरक्षण प्रदान करता है।

- पोक्सो कनून के तहत सभी अपराधों की सुनवाई, एक विशेष न्यायालय में होगी।

- यदि अपराधी ने कुछ ऐसा अपराध किया है जो कि बाल अपराध कानून के अलावा अन्य कानून में भी अपराध है तो अपराधी को सजा उस कानून में होगी जो कि सबसे सख्त हो।

- इसमें खुद को निर्दोष साबित करने का दायित्व अभियुक्त पर होता है।

- इस एक्ट के तहत पुलिस पर बड़ी जिम्मेदारी है। वह बाल संरक्षक की भूमिका में है। पुलिस को बच्चे की देखभाल और संरक्षण के लिए तत्काल व्यवस्था बनाने की जिम्मेदारी है। बच्चे की पहचान गुप्त रखी जाए।

- विशेष न्यायालय, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण उस बच्चे को दिए जाने वाली मुआवजे की राशि का निर्धारण कर सकता है, जिससे बच्चे के चिकित्सा उपचार और पुनर्वास की व्यवस्था की जा सके। वहीं मामले में विशिष्ट लोक अभियोजक की व्यवस्था हो।

- बच्चे के यौन शोषण का मामला घटना घटने की तारीख से एक वर्ष के भीतर निपटाया जाना चाहिए। आरोप पत्र पेश होने के बाद एक महीने के भीतर न्यायालय में पीडि़ता के बयान होने चाहिए।

जैसा राजस्थान राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के सदस्य सचिव अशोक कुमार जैन और वरिष्ठ अधिवक्ता बी एस चौहान ने बताया...

अपराधी का बुरा बचपन भी जिम्मेदार
इस तरह के व्यक्ति आपराधिक प्रवृत्ति के साथ-साथ बचपन मे खुद फिजिकल या यौन उत्पीडऩ (सेक्सुअल एब्यूज) के शिकार हुए हो सकते हैं। बचपन मे ही पारिवारिक कलह ओर विघटन भी ऐसी प्रवृत्ति को जन्म दे सकता है। शराब और अन्य प्रकार के नशे की लत भी ऐसी घटनाओं का कारण बन सकती है।
डॉ. अनिल ताम्बी, मनोरोग विशेषज्ञ