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Rajasthan News : राजस्थान के 20 निजी नर्सिंग शिक्षण संस्थानों ने नहीं किया INC में आवेदन, स्टूडेंट्स परेशान

Rajasthan News : राजस्थान के 20 निजी नर्सिंग शिक्षण संस्थानों ने इंडियन नर्सिंग काउंसिल (आइएनसी) की सूची में शामिल होने के लिए आवदेन नहीं किया। अब अध्ययनरत नर्सिंग छात्र-छात्राएं परेशान हैं। उनके भविष्य पर बड़ा संकट खड़ा हो गया है।

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Rajasthan 20 Private Nursing Education Institutes did not Apply to INC Students are Worried

फाइल फोटो

Rajasthan News : राजस्थान में 20 निजी नर्सिंग शिक्षण संस्थानों ने छात्र हित दरकिनार कर इंडियन नर्सिंग काउंसिल (आइएनसी) की सूची में शामिल होने के लिए आवेदन नहीं किया है। इस कारण इन संस्थानों में अध्ययनरत नर्सिंग छात्र-छात्राओं के भविष्य पर संकट खड़ा हो गया है। राज्य से बाहर के संस्थान आइएनसी की आधिकारिक सूची में शामिल नहीं होने वाले नर्सिंग संस्थानों से पढ़कर निकलने वाले स्टूडेंटस को नौकरी देने से बचते हैं। आइएनसी उसके यहां से सूटेबिलिटी लेने वाले संस्थानों के नाम ही अपनी आधिकारिक सूची में शामिल करता है। सामान्यत: सभी पाठ्यक्रमों के लिए उनकी केन्द्र स्तर पर अपेक्स बॉडी से मान्यता या स्वीकृति लेना आवश्यक होता है। इससे विद्यार्थियों को अन्य राज्यों व विदेशों में काम करने और डिग्री के सत्यापन में परेशानी नहीं आती।

छात्र हित में INC की सूची में शामिल होने की प्रक्रिया कर रहे पूरी

स्वयं राजस्थान स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय के नर्सिंग कॉलेज और राजस्थान मेडिकल एजुकेशन सोसायटी (राजमेस) के अधीन संचालित राजकीय नर्सिंग कॉलेज सहित राज्य के 80 प्रतिशत निजी संस्थान छात्र हित में आइएनसी की सूची में शामिल होने की प्रक्रिया को पूरा कर रहे हैं। जबकि इसी विश्वविद्यालय के अधीन कुछ निजी संस्थानों को इस आवश्यकता से बाहर ही कर दिया गया है।

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सीएम भजनलाल को लिखा पत्र

फाइट फॉर राइट संगठन के अध्यक्ष सुनील उदेइया ने मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा को पत्र लिखकर कहा है कि राज्य सरकार और संस्थानों के लिए छात्र हित सबसे पहले होता है। लेकिन कुछ अधिकारी कुछ विशेष मामलों को लेकर दिए गए कर्नाटक उच्च न्यायालय और सुप्रीम कोर्ट के आदेशों को आधार बनाकर निजी संस्थानों के साथ कदमताल कर रहे हैं। इससे यहां से निकलने वाले स्टूडेंटस को विदेश और अन्य राज्यों में नौकरी में संकट आ सकता है।

छात्र हित आवश्यक…आंदोलन की चेतावनी

सुनील उदेइया ने कहा कि विश्वविद्यालय के पैनल अधिवक्ताओं और अन्य विधिक राय में समय-समय पर आइएनसी की सूची को छात्र हित में आवश्यक माना है। इसी आधार पर सरकारी संस्थान और 80 फीसदी निजी संस्थान यह प्रक्रिया पूरी कर रहे हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि ये नर्सिंग स्टूडेंटस के भविष्य से खिलवाड़ किया जा रहा है, जो आंदोलन का कारण बन सकता है।

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