
Rajasthan Assembly Election 2023 : सांडों से पूरा शहर परेशान है। इनकी लड़ाई में लोगों की जान चली जाती है। विदेशी पर्यटकों से लेकर अपनों की मौत सांड की वजह से हुई। लेकिन, यह कभी चुनावी मुद्दा नहीं बन पाया। परकोटा के भीड़ भरे बाजारों में तो सांडों से आमजन परेशान है। लेकिन, चुनाव में कभी भी किसी नेता ने इनसे निजात दिलाने की बात नहीं कही। अब तो शहर के बाहरी इलाकों में भी सांडों की संख्या बढ़ रही है। कई बार तो सांडों के बीच ऐसा संघर्ष होता है कि ठेले वालों के नुकसान से लेकर वाहन तक क्षतिग्रस्त हो जाते हैं। तमाम रिपोर्ट बताती हैं कि सांडों और आवारा जानवरों की वजह से हादसों की संख्या में भी इजाफा हो रहा है। लेकिन, इसके बाद भी कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है।
इसलिए कम पकड़ते : नगर निगम सांडों को कम पकड़ते हैं। क्योंकि गाड़ियों पर तीन से चार कर्मचारी रहते हैं और सांड कई बार रस्सियों को भी तोड़ देता है। कई कर्मचारी चोटिल भी हुए हैं।
हर विस क्षेत्र प्रभावित, लोग परेशान: परकोटे में सर्वाधिक गोवंश सड़कों पर घूमता है। किशनपोल, हवामहल और आदर्श नगर से लेकर मालवीय नगर, विद्याधर नगर, झोटवाड़ा विधानसभा क्षेत्रों में निराश्रित पशु लोगों के लिए परेशानी बने हुए हैं। लेकिन, कभी किसी ने इसके विरोध में आवाज नहीं उठाई।
हादसों से नहीं लिया सबक
-सितम्बर, 2015 मानसरोवर में बलवंत राज के सांड ने टक्कर मारी। अक्टूबर में उनकी मौत हो गई। हाल ही कोर्ट ने इस मामले में निगम पर पांच लाख का हर्जाना लगाया था।
-सितम्बर, 2017 अर्जेन्टीना के पर्यटक जपन लैम्प की सांडों की लड़ाई में मौत हो गई। वह दोस्तों के साथ घूमने आया था और चौड़ा रास्ता से गुजर रहा था। उस समय वह हादसा हुआ था।
-नवम्बर, 2022 भानपुरा निवासी गिर्राज शर्मा रामगढ़ मोड़ पर बस का इंतजार कर रहे थे। पीछे से सांड ने आकर टक्कर मारी। इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई।
गोशाला में संख्या बढ़ रही: गोशाला में अभी 17 हजार से अधिक गोवंश है। हर वर्ष दो से ढाई हजार गोवंश बढ़ रहा है। लेकिन, सड़कों पर निराश्रित जानवरों की संख्या कम होने का नाम नहीं ले रही है।
Published on:
30 Oct 2023 09:00 am
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