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राजस्थान विधानसभा बैठक बुलाने पर मचा विवाद, शांति धारीवाल के वार पर राजेंद्र राठौड़ का पलटवार

पूर्व संसदीय कार्य मंत्री शांति धारीवाल ने भाजपा पर तंज कसते हुए कहा मंत्रिमंडल गठन के बिना विधानसभा की बैठक बुलाना संविधान का उल्लंघन है। इस पर पूर्व संसदीय कार्य मंत्री राजेंद्र राठौड़ ने पलटवार किया।

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Shanti Dhariwal - Rajendra Rathore

पूर्व संसदीय कार्य मंत्री शांति धारीवाल ने विधानसभा सत्र को लेकर कहा मंत्रिमंडल गठन के बिना विधानसभा की बैठक बुलाना संविधान का उल्लंघन है। विधानसभा का सत्र राज्यपाल ने 24 घंटे की अल्प सूचना पर मंत्रिमंडल के गठन के बिना 20 दिसंबर को बुलाया। परंपरा यह है कि विधानसभा की बैठक मंत्रिमंडल की सलाह से बुलाई जाती है। संविधान में प्रावधान है कि किसी राज्य में सीएम सहित मंत्रियों की संख्या 12 से कम नहीं होगी। राजस्थान में सीएम और दो डिप्टी सीएम हैं। ऐसे में मंत्रिमंडल गठन नहीं हुआ है। मंत्रिमंडल का गठन किए बिना तीन मंत्रियों की ओर से राज्यपाल को विधानसभा की बैठक बुलाने का परामर्श देना संविधान का स्पष्ट उल्लंघन है।

राज्यपाल के पास है संवैधानिक शक्ति

पूर्व संसदीय कार्य मंत्री राजेंद्र राठौड़ ने बयान जारी कर कांग्रेस नेता शांति धारीवाल के बयान को लेकर कहा कि संविधान के आर्टिकल-174 में राज्यपाल को विधानसभा के सत्र को आहूत किए जाने की संवैधानिक शक्ति दी गई है, जिसका उपयोग करते हुए उन्होंने 16वीं विधानसभा के प्रथम सत्र को आहूत किया है।

धारीवाल की आपत्ति पूर्णत निराधार

राजेंद्र राठौड़ ने कहा कि धारीवाल द्वारा मंत्रिमंडल की संख्या पर जो आपत्ति की है वह भी पूर्णत निराधार है, क्योंकि सविधान के आर्टिकल-163 में मंत्रिमंडल के परामर्श पर राज्यपाल को विधानसभा आहूत करने का संवैधानिक अधिकार दिया है, जिसमें मंत्रिमंडल के सदस्यों की संख्या कितनी हो। इसका कहीं उल्लेख नहीं किया गया है।

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