
Rajasthan Budget Session 2024 : जयपुर। विधानसभा में अनुदान मांगों पर बहस के दौरान विधायक हरीश चौधरी (Harish Choudhary) ने बजट की तुलना 'ठाकुर का कुआं' कविता से की, जिस पर जमकर हंगामा हुआ। चौधरी ने कहा कि-कवि ओमप्रकाश वाल्मीकि ने 'ठाकुर का कुआं' कविता के जरिए भेदभाव का दर्द बयां किया। वही दर्द इस बजट को पढ़कर महसूस हो रहा है। बार-बार ठाकुर शब्द उपयोग करने से भाजपा और कई निर्दलीय विधायकों ने विरोध किया। उन्होंने चौधरी पर जातिवाद फैलाने और एक वर्ग को आहत करने का आरोप लगाया। निर्दलीय विधायक रविंद्र सिंह भाटी और चौधरी के बीच नोंकझोंक की स्थिति भी बनी।
संसदीय कार्य मंत्री जोगाराम पटेल ने कहा कि हम सब एक हैं, किसी को आहत करने वाली टिप्पणी नहीं करनी चाहिए। चौधरी किसी को ठेस नहीं पहुंचा सकते। उन्होंने इसे कार्यवाही से हटाने की मांग की, जिस पर सभापति संदीप शर्मा ने कहा कि जो सदन के अनुकूल नहीं होगा उसे कार्यवाही से निकाल दिया जाएगा। हरीश चौधरी ने इसका यह कहते हुए विरोध किया कि, यह आवाज पिछड़ों के लिए है। आप सब इकठ्ठे हो जाएं तो भी दबा नहीं सकते। हम आरक्षण के नाम पर दर्द बयां करते हैं तो हंसी उड़ाई जाती है। 80 फीसदी संसाधन ऊंची जातियों के पास है। पिछड़ों के पास क्या है। नौकरियों में रोस्टर के नाम पर खेल किया जाता है।
भाजपा विधायक अमृतलाल मीणा व अन्य विधायकों ने हरीश चौधरी पर पलटवार करते हुए कहा कि, ये रिफाइनरी खा गए। उस एरिया में जाकर देखें, किसी पर उंगली उठाने से क्या होता है। सब जानते हैं पूरे बाड़मेर को लूट लिया। आदिवासी को कह रहे ठाकुर हैं। यह सहन नहीं होगा, नहीं सहेगा राजस्थान, नहीं सहेगा एससी-एसटी।
चूल्हा मिट्टी का, मिट्टी तालाब की, तालाब ठाकुर का।
भूख रोटी की, रोटी बाजरे की, बाजरा खेत का, खेत ठाकुर का।
बैल ठाकुर का, हल ठाकुर का, हल की मूठ पर हथेली अपनी।
फसल ठाकुर की, कुआं ठाकुर का, खेत-खलिहान ठाकुर के।
हमारा क्या, हमारा कुछ नहीं, सब कुछ ठाकुर का।
Updated on:
18 Jul 2024 07:25 pm
Published on:
18 Jul 2024 06:54 pm
बड़ी खबरें
View Allजयपुर
राजस्थान न्यूज़
ट्रेंडिंग
