
उमेश शर्मा/जयपुर
प्रदेश में उप चुनावों ( By-Elections in rajasthan ) का रण तैयार हो गया है। चारों प्रत्याशियों ने नामांकन दाखिल कर दिया है। लेकिन एक सवाल जो हर किसी के जहन में उठ रहा है कि क्या उप चुनावों में स्थानीय मुद्दों को तरजीह मिलेगी या फिर राष्ट्रीय मुद्दों के आगे ये मुद्दे गौण साबित होंगे। लग तो कुछ ऐसा ही रहा है कि भाजपा ( BJP RAJASTHAN ) धारा 370 और 35ए को भुनाने में जुटी है तो कांग्रेस ( CONGRESS ) बेपटरी हो चुकी अर्थव्यवस्था को लेकर जनता के बीच जाएगी।
ये बन सकते हैं दोनों ही पार्टियों के लिए मुद्दे ( congress bjp )
भाजपा नेताओं ने उप चुनावों से पहले कहा था कि हम बिगड़ती कानून व्यवस्था, किसानों की समस्या को लेकर जनता के बीच जाएंगे और वोट मांगेंगे। लेकिन नेताओं ने इन मुद्दों से ज्यादा केंद्र की मोदी सरकार के कामों को लेकर जनता से वोट मांगना शुरू कर दिया है। उधर कांग्रेस भी पिछले नौ महीनों में कराए गए कामों के दम पर जनता के बीच जा रही है। परन्तु इससे ज्यादा फोकस उनका केंद्र की मोदी सरकार पर रहेगा। बेपटरी होती अर्थव्यवस्था, बढ़ती सांप्रदायिक घटनाएं, राष्ट्रवाद को लेकर कांग्रेस जनता से वोट मांगेगी।
स्थानीय मुद्दों को उठाने की आवाज उठी थी... ( rajasthan political news )
राजस्थान में 2018 में हुए विधानसभा चुनावों के दौरान भी स्थानीय मुद्दे गौण नजर आए थे। मोदी सरकार की उपलब्धियों को लेकर सभी भाजपा प्रत्याशियों ने प्रचार किया था। कांग्रेस ने जरूर भाजपा सरकार की नाकामियों को मुद्दा बनाया। लेकिन चुनावी सभाओं में केंद्र पर जमकर प्रहार किए गए। उस समय भी स्थानीय मुद्दों को उठाने की आवाज उठी थी और पूरा चुनाव राष्ट्रीय स्तर के मुद्दों पर लड़ा गया।
जनता को करना है फैसला
गौरतलब है कि चुनाव 21 अक्टूबर को होना है। दोनों पार्टियां चाहती हैं कि दोनों सीटों पर कब्जा जमाया जाए। मगर जनता जनार्दन है वो किसे पसंद करती है इसका कोई अंदाजा नहीं लगा सकता। अब देखना होगा कि धारा 370 और 35 ए को लेकर जनता वोट करती है या कांग्रेस सरकार के कामकाज के आधार पर वोटिंग की जाती है।
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Updated on:
30 Sept 2019 10:01 pm
Published on:
30 Sept 2019 09:51 pm
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