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राज्य में अब लिखित करार के बिना किराएदार नहीं रखे जा सकेंगे। राज्य सरकार ने राजस्थान रेंट एक्ट (किराएदारी कानून) 2001 में संशोधन कर दिया है। पहले यह कानून 44 शहरों में था, लेकिन अब प्रदेश के सभी शहरी क्षेत्रों में लागू होगा। संशोधन के बाद एसडीएम को रेंट अथॉरिटी बनाया गया है। मकान मालिक व किराएदार को रेंट अथॉरिटी के यहां रजिस्टे्रशन कराना जरूरी होगा। राज्य कैबीनेट ने मंगलवार को किराएदारी कानून संशोधन का अनुमोदन कर दिया।
कैबीनेट बैठक के बाद संसदीय कार्यमंत्री राजेंद्र राठौड़ ने बताया कि राज्य में एक अप्रेल 2003 से रेंट कंट्रोल एक्ट 2001 लागू हुआ था। यह प्रदेश के 44 शहरी क्षेत्रों में लागू था, लेकिन संशोधन के बाद राज्य के सभी शहरी क्षेत्रों में लागू होगा। संशोधन में एसडीएम को रेंट अथॉरिटी बनाते हुए उसे रेंट ट्रिब्यूनल वाले अधिकार दिए गए हैं। इसके लिए जल्द आर्डिनेंस जारी होगा।
राशि का प्रावधान हटाया-
राठौड़ ने बताया कि रेंट कंट्रोल एक्ट में नगर निगम क्षेत्र में सात हजार या अधिक, अन्य संभाग मुख्यालयों पर चार हजार या अधिक तथा अन्य शहरों में दो हजार या अधिक किराए का प्रावधान था। संशोधन में राशि के इस प्रावधान को हटा दिया गया है। अब सभी प्रकार की राशि के किरायों के मामले यह कानून लागू होगा। इससे किराए के विवाद काम होंगे।
एक महीने का एडवांस किराया -
राठौड़ ने बताया कि एक्ट संशोधन के अनुसार किराएदार से एक माह का किराया एडवांस में लिया जा सकेगा। सहमति के आधार पर किराया घटाया या बढ़ाया भी जा सकेगा। किराएदार व मकान मालिक को सौ रुपए के स्टांप पर किराएनामे की रजिस्ट्री करवानी होगी। परिवाद पेश करने की फीस भी 100 रुपए ही है।
लीज पर किराए में लागू नहीं होगा -
राठौड़ ने बताया कि किराया कानून ग्रामीण क्षेत्रों में लागू नहीं होगा। शहरी क्षेत्रों के सभी आवासी व कामर्शिलय किराएदारी के मामलों में लागू होगा। हालांकि यह वाणिज्यिक क्षेत्रों में लीज रेंट के मामलों में लागू नहीं होगा।
बेदखली के अधिकार नहीं -
राठौड़ ने बताया कि एसडीएम को एक्ट में दिए गए रेंट अथॉरिटी के सभी अधिकार होंगे, लेकिन उसे किराएदार की बेदखली का अधिकार नहीं होगा। बेदखली के मामले में पूर्व की भांति रेंट अथॉरिटी ही देंगे।
Published on:
29 Nov 2016 09:00 pm
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