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जयपुर।
राजस्थान के सुदूर दक्षिणी भाग में स्थित उदयपुर संभाग का बांसवाड़ा जिला आजादी के 75 वर्षों के बाद भी रेल सुविधाओं से वंचित है। नौबत ये है कि ज़िले के किसी भी कोने से रेल नहीं गुजरती। हैरत की बात तो ये है कि इस 'पिछड़ेपन' को दूर करने के लिए केंद्र और राज्य सरकार ने मिलकर साझा प्रयास करने को लेकर कदम आगे भी बढाए, पर अफ़सोस कि ये प्रयास बीच रास्ते में ही हांफकर बंद पड़ गए।
पूरा खर्च केंद्र से करवाने की अपील
बांसवाड़ा-डूंगरपुर सांसद कनकमल कटारा ने केन्द्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव से मिलकर कई वर्षों से बंद पड़ी डूंगरपुर-बांसवाड़ा-रतलाम रेल परियोजना का समस्त खर्चा केन्द्र सरकार द्वारा वहन करने और रेल मार्ग के काम को तत्काल प्रभाव से फिर से शुरू करवाने का आग्रह किया है। सांसद कटारा ने कहा कि आज जब देश आज़ादी का अमृत महोत्सव माना रहा है तब पर इस महत्वाकांक्षी योजना को फिर से शुरू करने की घोषणा कर इस पिछड़े आदिवासी इलाके के लोगों के वर्षों पुराने सपने को पूरा किया जाना चाहिए।
कटारा ने रेल मंत्री से आग्रह किया कि जब राजस्थान सरकार इस रेल परियोजना के लिए अपनी आधी हिस्सा राशि देने से इंकार कर रही है ऐसे में केन्द्र सरकार को आगे बढ़कर इस अनुसूचित जनजाति क्षेत्र के वंचित लोगों की सुविधा के लिए परियोजना का पूरा खर्च स्वयं वहन करने आगे आना चाहिए।
डूंगरपुर-बांसवाड़ा-रतलाम रेल परियोजना, फैक्ट फ़ाइल-
- वर्ष 2010-11 के रेल बजट में हुई थी परियोजना की घोषणा, वर्ष 2017 तक किया जाना था पूरा
- केंद्र और राजस्थान सरकार की पचास-पचास प्रतिशत भागीदारी हुई थी सुनिश्चित
- राजस्थान सरकार ने शुरुआत में अपनी हिस्से की राशि दी, लेकिन बाद में भागीदारी से इंकार कर दिया
- परियोजना का कार्य कई वर्षों से बंद है, जबकि 192 किलोमीटर लम्बाई वाली इस परियोजना के लिए 175.56 हेक्टयर भूमि का अधिग्रहण सहित 185 करोड़ रु के काम कराए जा चुके है।
- परियोजना का काम रुकने से लागत व्यय वर्ष प्रति वर्ष बढ़ता जा रहा है
- शुरू में इसकी मूल अनुमानित लागत 2082.74 करोड़ रुपए थी, वर्ष 2016-17 में इसकी अनुमानित लागत 3450 करोड़ रुपए हुई, और अब इसकी अनुमानित लागत 4262 करोड़ रुपए आंकी जा रही है।
रेल परियोजना पूरी हुई, तो ये संभावित फायदे
डूंगरपुर-बांसवाड़ा-रतलाम रेल परियोजना के तहत रेल लाइन बनने से राजस्थान, मध्य प्रदेश और गुजरात का एक बड़ा आदिवासी अंचल एक ओर जहां दिल्ली मुम्बई रेल मार्ग स्थित रतलाम जंक्शन से जुड़ जायेगा, तो वहीं दूसरी और हिम्मतनगर अहमदाबाद के माध्यम से मुम्बई और पूरे दक्षिण भारत से भी जुड़ सकेगा। इससे बड़ी संख्या में रोजगार के लिए अन्य प्रदेशों में आने जाने वाले इस जनजाति इलाके के लोगों जिनमें व्यापार, उद्योग-धंधों, अन्य वाणिज्यिक गतिविधियों,पर्यटन आदि के साथ साथ सामरिक दृष्टि से भी सुरक्षित रेल मार्ग विकसित हो सकेगा।
Updated on:
29 Jul 2021 01:54 pm
Published on:
29 Jul 2021 01:31 pm
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