Rajasthan Elections 2023 : चुनाव में निर्दलीय उम्मीदवारों की बहुत कीमत होती है। किसी का भी खेल बिगड़ा सकते हैं। कभी-कभी तो जीतने वाले उम्मीदवारों को जीत के लिए लोहे के चने चबाने पड़ जाते हैं।
rajasthan politics : विधानसभा चुनाव के लिए प्रत्याशी चयन के साथ ही भाजपा और कांग्रेस दोनों दल टिकट वितरण के बाद असंतुष्टों को साधने की रणनीति पर भी कार्य कर रहे हैं। हर चुनाव में प्रत्याशियों की संख्या बढ़ती जा रही है। ऐसे में वोटों का बंटवारा ज्यादा होने के कारण कई जगह बहुत कम वोटों से हार-जीत होती है। चुनावी आंकड़ों का विश्लेषण करने से यह बात सामने आई है कि कई निर्दलीय चुनाव जीतने में सक्षम नहीं होते, लेकिन किसी एक दल के वोटों का गणित बिगाड़ देते हैं।
जो टक्कर में नहीं थे, उन्होंने बदल दिया परिणामपिछले 2018 के चुनाव में असींद सीट से कांग्रेस प्रत्याशी मनीष मेवाड़ा भाजपा के जब्बर सिंह सांखला से 154 वोटों से चुनाव हार गए। इस सीट पर कुल 11 प्रत्याशियों ने चुनाव लड़ा था। इनमें सबसे कम वोट प्राप्त करने वाले प्रत्याशी को 664 वोट मिले। ऐसे में कोई एक निर्दलीय प्रत्याशी भी कांग्रेस को समर्थन देकर नाम वापस ले लेता तो परिणाम ही बदल सकता था, वहीं पिछले चुनाव में मारवाड़ जंक्शन विधानसभा सीट पर निर्दलीय प्रत्याशी 251 वोटों से जीते। यहां निर्दलीय प्रत्याशी खुशवीर सिंह ने भाजपा प्रत्याशी केसराम चौधरी को हराया था। इस सीट पर 13 प्रत्याशियों ने चुनाव लड़ा था।
संभावित निर्दलीयों के वोट बैंक पर भी नजरइसलिए इस बार राजनीतिक दल निर्दलीयों को साधने के लिए भी प्लान पर कार्य कर रहे हैं। ऐसे उदाहरणों को देखते हुए दोनों दल इस तरह की रणनीति पर भी काम कर रहे हैं कि उनके वोट काटने वाले निर्दलीय प्रत्याशी को नाम वापसी के समय तक अपने पक्ष में समर्थन कैसे लिया जाए। वहीं वे ऐसे प्रत्याशी को खड़ा करने के प्रयास में भी हैं, जिनके खड़े होने से उन्हें फायदा हो सके।
