
आयुर्वेद चिकित्सा के दीवाने हुए विदेशी
देवेंद्र सिंह राठौड़
आयुर्वेद चिकित्सा के दीवाने हुए विदेशी। फ्रांस, अफगानिस्तान, ईरान जैसे देशों में न केवल दुनिया की सबसे प्राचीन चिकित्सा पद्धति आयुर्वेद से इलाज को लेकर विश्वास पैदा हुआ बल्कि उनमें इस पद्धति से इलाज सीखने की अलख भी जगी है। यहां के बच्चे आयुर्वेद चिकित्सा सीखने के लिए भारत आ रहे हैं। जयपुर के जोरावर सिंह गेट स्थित राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान में देशभर के बच्चों के साथ ही विदेशी भी इस ज्ञान का अर्जन कर रहे हैं। वर्तमान में यहां 17 देशों के 67 विद्यार्थी आयुर्वेद की अलग-अलग विधाएं सीख रहे हैं। उनमें कोई आयुर्वेद में यूजी-पीजी तो कोई पीएचडी कर रहा है। कई स्टूडेंट्स बैचलर ऑफ आयुर्वेदिक मेडिसिन एंड सर्जरी (बीएएमएस) और एमडी पूरा करने के बाद आयुर्वेद में पीएचडी भी कर रहे हैं।
ईरान की स्टूडेंट डॉ. फातेमेह मोअज्जामिपैयरो बीएएमएस करने के लिए वर्ष 2016 में आई थी। अब संहिता एवं मौलिक सिद्धांत विभाग में एम.डी कर रही हैं। डॉ. फातेमेह ने बताया कि यहां आकर संस्कृत, अंग्रेजी और हिंदी भाषा सीखी हैं। उसका उद्देश्य ईरान में आयुर्वेद और वेलनेस सेंटर स्थापित करना है।
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त्रिनिदाद और टोबैगो निवासी डॉ. अवविनिश ने बताया कि उन्होंने बीटेक किया था। फिर आयुर्वेद चिकित्सा पढ़ने की सोची और अब पंचकर्म विभाग में पीएचडी कर रहा हूं। खुशी की बात है कि यहां पढ़ने आने वाला मेरे देश का पहला स्टूडेंट हूं।
फ्रांस, ईरान, नीदरलैंड, ब्राजील,थाइलैंड, घाना, सूडान, बांग्लादेश, सीरिया, नेपाल, श्रीलंका, टोगो , नाइजीरिया, अफगानिस्तान, जाम्बिया, तंजानिया व त्रिनिदाद एंड टोबैगो।
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Published on:
27 Jun 2024 02:19 pm
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