अभिषेक यादव
Rajasthan Good News : एक तरफ केंद्र सरकार सिंधु की पश्चिमी नदियों का पानी थार तक जल्द पहुंचाने के प्रयास में जुटी है दूसरी ओर वैज्ञानिकों ने राजस्थान में लुप्त पौराणिक नदी सरस्वती का बहाव मार्ग खोजने का दावा किया है। वैज्ञानिकों का कहना है कि सिंधु, झेलम, चिनाब जैसी नदियों का पानी सरस्वती के पुराने बहाव क्षेत्र राजस्थान के दूर तक के क्षेत्र में पहुंचाया जा सकता है।
बिट्स मेसरा, रांची के वैज्ञानिकों ने दावा किया कि अनूपगढ़ से जैसलमेर तक सरस्वती नदी के मार्ग और उसके पेलियो चैनल (निष्क्रिय नदी का बहाव मार्ग) को अब तक की सबसे उन्नत तकनीक से ढूंढ़ा है। इसके लिए 3.70 लाख वर्ग किमी. क्षेत्र का अध्ययन किया गया।
बिट्स के रिमोट सेंसिंग विभागाध्यक्ष डॉ. वीएस राठौड़ और उनकी टीम ने जैसलमेर, बाड़मेर, जालौर, सिरोही, पाली, जोधपुर, बीकानेर, नागौर, अजमेर, टोंक, जयपुर, सीकर, झुंझुनू, चूरू, गंगानगर व हनुमानगढ़ और पाकिस्तान को अध्ययन क्षेत्र बनाया।
डॉ. वीएस राठौड़ ने बताया कि सरस्वती का क्षेत्र बड़ी मात्रा में रेत से ढका है। उसे पहचानने के लिए तीन उपग्रहों से मिली उच्च स्तरीय तस्वीरों और सिंथेटिक अपर्चर रेडार सार के डाटा की मदद ली। यह रेडार जमीन में कई मीटर भीतर तक विश्लेषण करती है। यूरोपीय रेडार उपग्रह सेंटिनल 1ए सहित अन्य उपग्रहों से मिली उच्च स्तरीय तस्वीरों, मल्टी स्पेक्ट्रल डाटा और डिजिटल एलिवेशन मॉडल का भी उपयोग किया। यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी व अमरीकी जियोलॉजिकल सर्वे के उपग्रहों द्वारा गई 614 तस्वीरों का विश्लेषण किया गया। इनमें सरस्वती और सहायक धाराओं के बहाव मार्ग साफ नजर आए।
1- पहली मुख्यधारा अनूपगढ़ के निकट घग्घर नदी से उत्पन्न, बेरियावाली, बहला, तनोट व जैसलमेर होते हुए अरब सागर में गिरती थी।
2- दूसरी मुख्यधारा जैसलमेर जिले में बहला व सत्तो के पास पहली धारा से मिलती थी।
3- जोधपुर, जैसलमेर और बाड़मेर में सरस्वती से कई सहायक धाराएं भी बनती नजर आईं, जो मोहनगढ़ में सरस्वती में मिलती थीं। मोहनगढ़ में पिछले साल खुदाई के दौरान बड़ी मात्रा में पानी फूट पड़ा था।
4- कुछ धाराएं बीकानेर, हनुमानगढ, चूरू व झुंझुनू में थी। यह सूरतगढ़ के पास सरस्वती में मिलती थी।
Published on:
09 Jun 2025 07:30 am